Pitru paksha kab hai 2022 : पितृपक्ष को श्राद्धपक्ष भी कहा जाता है। 16 दिन के इस पक्ष या दिनों में दिवंगतों का श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि के दिन किया जाता है। इसी के साथ पूर्णिमा और सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध सभी के लिए होता है। पितृपक्ष का प्रारंभ भाद्रपद पूर्णिमा से प्रारंभ होता है और आश्विन मास की अमावस्या को समाप्त होता है। पितृपक्ष में पितरों का पिंडदान और तर्पण किया जाता है।
पितृपक्ष में पंचबलि कर्म किया जाता है:- 1.गोबलि, 2.श्वानबलि, 3.काकबलि, 4.देवादिबलि और 5.पांचवां पिपीलिकादिबलि।
पंचबलि संकल्प : भोजन तैयार होने पर एक थाली में 5 जगह थोड़े-थोड़े सभी प्रकार के भोजन परोसकर हाथ में जल, अक्षत, पुष्प, चन्दन लेकर निम्नलिखित संकल्प करें। इसमें अमुक की जगह अपने गोत्र और नाम का उच्चारण करें- अद्यामुक गोत्र अमुक वर्मा (गुप्ता, कुमार, सूर्यवंशी आदि) अहममुकगोत्रस्य मम पितुः (मातुः भ्रातुः पितामहस्य वा) वार्षिक श्राद्धे (महालय श्राद्धे) कृतस्य पाकस्य शुद्ध्यर्थं पंचसूनाजनित दोष परिहारार्थं च पंचबलिदानं करिश्ये।.. अब जल छोड़ दीजिये।