भगवान शिव के 15 संदेश गृहस्थ-जीवन के लिए

एक बार पार्वती जी भगवान शंकर जी के साथ सत्संग कर रही थीं। उन्होंने भगवान भोलेनाथ से पूछा, गृहस्थ लोगों का कल्याण किस तरह हो सकता है? 
शंकर जी ने बताया़ ''ऐसे गृहस्थ पर सभी देवता, ऋषि एवं महर्षि प्रसन्न रहते हैं जिनमें यह गुण हो.... 
 
1. सच बोलना, 
 
2. सभी प्राणियों पर दया करना, 
 
3.  मन एवं इंद्रियों पर संयम रखना
 
4.  सामर्थ्य के अनुसार सेवा-परोपकार करना 
 
5.  माता-पिता एवं बुजुर्गों की सेवा 

6. शील एवं सदाचार से संपन्न रहना, 
 
7. अतिथियों की सेवा को तत्पर रहना 
8. क्षमाशील रहना 
 
9. धर्मपूर्वक धन का उपार्जन करना 
 
भगवान शिव ने आगे बताया....

10.  जो दूसरों के धन पर लालच नहीं रखता, 
 
11.  जो पराई स्त्री को वासना की नजर से नहीं देखता, 
12.  जो किसी की निंदा-चुगली नहीं करता
 
13.  जो सबके प्रति मैत्री और दया भाव रखता है, 
 
14.  जो सौम्य वाणी बोलता है
 
15. स्वेच्छाचार से दूर रहता है, ऐसा आदर्श व्यक्ति सुखी गृहस्थ होता है। स्वर्गगामी होता है।
 
भगवान शिव ने माता पार्वती को आगे बताया कि....

भगवान शिव ने माता पार्वती को आगे बताया कि मनुष्य को जीवन में सदा शुभ कर्म ही करते रहना चाहिए। शुभ कर्मों का शुभ फल प्राप्त होता है और शुभ प्रारब्ध बनता है। मनुष्य जैसा कर्म करता है, वैसा ही प्रारब्ध बनता है।

प्रारब्ध अत्यंत बलवान होता है, उसी के अनुसार जीव भोग करता है। प्राणी भले ही प्रमाद में पड़कर सो जाए, परंतु उसका प्रारब्ध सदैव जागता रहता है। इसलिए हमेशा सत्कर्म करते रहना चाहिए। 

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