19 वर्ष बाद बना भगवान हरि और हर की पूजा का संयोग, चूकें नहीं

गुरुवार, 20 जुलाई 2023 (11:48 IST)
4 जुलाई 2023 से श्रावण मास चल रहा है और अब 18 जुलाई से अधिकमास प्रारंभ हो गया है, जो 16 अगस्त को समाप्त होगा जबकि श्रावण माह 31 अगस्त को समाप्त होगा। इस बार श्रावण माह करीब 2 माह का रहेगा जिसमें भगवान शिवजी के साथ ही विष्णुजी की पूजा की की जाने का महत्व है। आओ जानते हैं कुछ खास।
 
हरिहर की पूजा का संयोग : अधिक मास को भगवान विष्णु का पुरुषोत्तम मास कहा जाता है। भगवान विष्णु को श्री हरि भी कहते हैं। इसी प्रकार श्रावण मास को भगवान शिव का माह कहा जाता है। भगवान शिव का एक नाम हर भी है। इलिए उन्हें हर हर महादेव कहते हैं। हरि और हर मिलकर हरिहर नाम बनता है। ऐसा 19 वर्षों यानी 2004 के बाद यह संयोग बना है कि श्रावण मास में अधिक मास चल रहा है। ऐसे में दोनों देवताओं की एक साथ पूजा का महत्व बढ़ गया है।
 
पूजा करने से चूके नहीं : अधिकमास में व्रत और पूजा करने से चूके नहीं क्योंकि यह संयोग सालों बाद मना है। श्रीहरि 4 माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं तब भगवान शिव ही सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। ऐसे में अधिकमास में दोनों की पूजा का महत्व बढ़ गया है। 
 
1. विष्णु जी का करें षोडशोपचार पूजन : षोडशोपचार पूजन अर्थात 16 तरह से श्रीहरि विष्णु का पूजन करना। ये 16 प्रकार हैं- 1.ध्यान-प्रार्थना, 2.आसन, 3.पाद्य, 4.अर्ध्य, 5.आचमन, 6.स्नान, 7.वस्त्र, 8.यज्ञोपवीत, 9.गंधाक्षत, 10.पुष्प, 11.धूप, 12.दीप, 13.नैवेद्य, 14.ताम्बूल, दक्षिणा, जल आरती, 15.मंत्र पुष्पांजलि, 16.प्रदक्षिणा-नमस्कार एवं स्तुति।
2. शिवजी का करें अभिषेक : इस दौरान भगवान शिवजी के शिवलिंग पर जलाभिषेक, पंचामृत अभिषेक या रुद्राभिषेक करें। इस दौरान शिवलिंग की पूजा के साथ ही मां पार्वती का पूजन करें। श्रावण में सफेद पुष्प, सफेद चंदन, अक्षत, पंचामृत, सुपारी, फल, गंगाजल/ पानी से भगवान शिव-पार्वती का पूजन करें तथा पूजन के समय 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप निरंतर करते रहे। इन दिनों शिव जी के मंत्र, चालीसा, आरती, स्तुति, कथा आदि अधिक से अधिक पढ़ें अथवा सुनें। गरीबों को भोजन कराएं, सामर्थ्यनुसार दान करें। व्रत के दौरान फल का प्रयोग कर सकते हैं।
 
3. दीपदान, ध्वजादान और पुण्य कर्म : इस मास में भगवान को दीपदान और ध्वजादान की भी करना चाहिए। इस मास में गौओं को घास खिलानी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि अधिकमास में किए गए धार्मिक कार्यों का किसी भी अन्य माह में किए गए पूजा-पाठ से 10 गुना अधिक फल मिलता है।
 

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