1. दीपदान : इस दिन दान के साथ ही दीपदान भी करना चाहिए। इस दिन आटे के दीपक जलाकर नदी में प्रवाहित करने से पितृदेव और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है। इस दिन शनिदेवजी के मंदिर में विधि अनुसार दीपक लगाने से वे प्रसन्न होते हैं।
2. तर्पण और पिंडदान : पितृदोष की शांति के लिए इस दिन पिंडदान और तर्पण करके 11 ब्राह्मणों को भोज कराया जाना चाहिए।
4. मछलियों को दाना डालें : अमावस्या पर सुबह दैनिक कार्यों तथा स्नानादि से निवृत्त होने के बाद आटे की गोलियां बनाएं। यह गोलियां बनाते समय ईश्वर का नाम लेते रहें। इसके बाद किसी तालाब या नदी तट पर जाकर आटे की यह गोलियां मछलियों को खिलाएं, इस उपाय से आपके जीवन की समस्त परेशानियों का अंत होकर भाग्योदय और उन्नति होती हैं। यदि संभव हो तो इसे अपनी दिनचर्या में अपनाएं। यह संभव न हो तो चौदस, अमावस्या तथा पूर्णिमा को यह उपाय अवश्य करें।
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