भगवान महाकाल की सवारी को सबसे पहले मंदिर के द्वार पर 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया जाएगा। इसके बाद सवारी आरंभ होगी। सवारी अपने पारंपरिक मार्ग यानी महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्शी बाजार और कहारवाड़ी से होते हुए रामघाट पहुंचेगी। रामघाट पर, भगवान महाकाल को शिप्रा नदी के पवित्र जल से स्नान कराया जाएगा और पूजा-अर्चना की जाएगी। इसके बाद, सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस आएगी।
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