श्रावण मास में भगवान शिव के इन 5 तीर्थों का दर्शन कर लिया तो समझो पंचभूतों की साधना हो गई

भगवान शिव की अष्टमूर्तियां पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, जीवात्मा, सूर्य और चंद्रमा की प्रतीक हैं। इन अष्‍टमूर्तियों के नाम हैं:- शर्व, भव, रूद्र, उग्र, भीम, पशुपति, महादेव और ईशान। इसके अलावा कुछ ऐसे तीर्थ हैं जो पंचभूतों से जुड़े हैं। पंचभूत अर्थात पृथ्‍वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश।
 
 
दक्षिण भारत के पंचभूत मंदिर– शिवलिंग पंचभूतों का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। जल का प्रतिनिधित्व तिरुवनैकवल मंदिर में है, आग का प्रतिनिधित्व तिरुवन्नमलई में है, हवा का प्रतिनिधित्व कालाहस्ती में है, पृथ्वी का प्रतिनिधित्व कांचीपुरम् में है और अंत में आकाश का प्रतिनिधित्व चिदंबरम् मंदिर में है।
 
 
1.Prithvi Lingam – Ekambareswarar Temple – Earth
2.Appu Lingam – Jambukeswarar Temple – Water
3.Agni Lingam – Arunachaleswarar Temple – Fire
4.Vayu Lingam – Kalahastheeswarar Temple – Air
5.Akasa Lingam – Thillai Natarajar Temple – Sky

 
आठ तत्वों से संबंधित तीर्थ स्थान भी है- 
1.जल लिंग– तमिलनाडु के त्रिचिरापल्ली में जम्बुकेश्वर मन्दिर है।
2.तेजो लिंग– अरूणांचल पर्वत पर है।
3.वायु लिंग– आन्ध्रप्रदेश के अरकाट जिले में कालहस्तीश्वर वायु लिंग है।
4.आकाश लिंग– तमिलनाडु के चिदम्बरम् में स्थित है।
5.सूर्य- सूर्य ही शिव है। सभी सूर्य मंदिर वस्तुत: शिव मंदिर ही हैं। उन सभी में काशीस्थ 'गभस्तीश्वर' लिंग सूर्य का शिव स्वरूप है।
6. चन्द्र- गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित सोमनाथ का मंदिर चंद्र से संबंधित ही है।
7.यजमान– नेपालका पशुपतिनाथ मंदिर है।
8–क्षिति लिंग- क्षिति या सर्व लिंग तमिलनाडु के शिव कांची में अमरेश्वर मंदिर में स्थित हैं। इसे क्षितिलिंग एकाम्बरेस्वर शिवकांची भी कहते हैं।

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