1. इस बार श्रावण मास में 4 नहीं पांच सोमवार है। सावन मास का पहला सोमवार 6 जुलाई को था। दूसरा 13 जुलाई को, तीसरा 20 जुलाई को, चौथा 27 जुलाई को और पांचवां 3 अगस्त को है। सावन के अंतिम सोमवार को विशेष पूजा का विधान रहता है।
5. सावन के 5 सोमवार शिव के 5 मुख के प्रतीक माने गए हैं। शिवजी का पांचवां मुख सद्योजात, वामदेव, तत्पुरुष, अघोर और ईशान हुए और प्रत्येक मुख में तीन-तीन नेत्र बन गए। तभी से वे 'पंचानन' या 'पंचवक्त्र' कहलाने लगे। अंतिम सोमवार के दिन भगवान शिव के इन पंचमुख के अवतार की कथा पढ़ने और सुनने का बहुत माहात्म्य है। यह प्रसंग मनुष्य के अंदर शिव-भक्ति जाग्रत करने के साथ उसकी समस्त मनोकामनाओं को पूरी कर परम गति देने वाला है।