3. धतूरा : भगवान शिव को धतूरा भी अत्यंत प्रिय है। भागवत पुराण के अनुसार शिव जी ने जब सागर मंथन से निकले हलाहल विष को पी लिया तब वह व्याकुल होने लगे। तब अश्विनी कुमारों ने भांग, धतूरा, बेल आदि औषधियों से शिव जी की व्याकुलता दूर की।
6. पंचामृत : सावन मास में पंचामृत अर्पित करना बहुत शुभ है। इसमें दूध, दही, शहद, शक्कर और घी होता है।
7. भस्म : भस्म ही शिवजी का श्रृंगार और वस्त्र है। यह संसार की नश्वरता का प्रतीक भी है। कोई भी व्यक्ति या यह संसार समाप्त होने के बाद भस्म स्वरूप ही हो जाता है। माता सती ने जब स्वयं को अग्नि के हवाले कर दिया तो क्रोधित शिव ने उनकी भस्म को अपनी पत्नी की आखिरी निशानी मानते हुए तन पर लगा लिया, ताकि सती भस्म के कणों के जरिए हमेशा उनके साथ ही रहे। हवन की सामग्री से भस्म बनाकर अर्पित करें।
8. अक्षत : शिवजी को अखंडित सफेद अक्षत अर्पित करते हैं। अक्षत का अर्थ होता है जो टूटा न हो। उन्हें गुलाल, सिंदूर, लाल फूल, कुमकुम, रोली अर्पित नहीं करते हैं।
10. जनेऊ : शिवजी को जनेऊ भी अर्पित करें। यह बहुत ही शुभ होती है।
11. शमी का पत्ता : शिवजी को शमी का पत्ता अर्तित करने से शनिदोष दूर हो जाता है।
इसके अलावा आप चाहें तो भांग, रुद्राक्ष, केसर, गुड़, शहद, सफेद तिल, गेहूं, जौ, शक्कर, सूखे मेवे, आदि अर्पित कर सकते हैं। साथ ही उन्हें पेड़ा, पान, मालपुआ, ठंडाई, लस्सी, हलवा, मखाने की खीर आदि भोग भी लगाएं।