कुछ लोग श्रावण माह में सिर्फ सोमवार के दिन ही व्रत रखकर इतिश्री कर लेते हैं और समझते हैं कि शिवजी की आराधना हो गई और कुछ लोग चातुर्मास का पालन करते हुए संपूर्ण श्रावण माह या संपूर्ण चार माह ही व्रत रखते हैं। आओ जानते हैं कि व्रत रखने के लिए कौन सी बातें वर्जित हैं और व्रत में कौन से नियम का पालन करना चाहिए।
2. उठने के बाद अच्छे से स्नान करना और अधिकतर समय मौन रहना चाहिए।
3. दिन में फलाहार लेना और रात को सिर्फ पानी पीना चाहिए।
4. इस व्रत में दूध, शकर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाता। श्रावण में पत्तेदार सब्जियां यथा पालक, साग इत्यादि का त्याग कर दिया जाता है।
5. इस दौरान दाढ़ी नहीं बनाना चाहिए, बाल और नाखून भी नहीं काटना चाहिए।
6. अग्निपुराण में कहा गया है कि व्रत करने वालों को प्रतिदिन स्नान करना चाहिए, सीमित मात्रा में भोजन करना चाहिए। इसमें होम एवं पूजा में अंतर माना गया है। विष्णु धर्मोत्तर पुराण में व्यवस्था है कि जो व्रत-उपवास करता है, उसे इष्टदेव के मंत्रों का मौन जप करना चाहिए, उनका ध्यान करना चाहिए उनकी कथाएं सुननी चाहिए और उनकी पूजा करनी चाहिए।
3 . उपवास में कई लोग साबूदाने की खिचड़ी, फलाहार या राजगिरे की रोटी और भिंडी की सब्जी खूब ठूसकर खा लेते हैं। इस तरह के उपवास से कैसे लाभ मिलेगा? उपवास या व्रत के शास्त्रों में उल्लेखित नियम का पालन करेंगे तभी तो लाभ मिलेगा।
4. व्रत में यात्रा, सहवास, वार्ता, भोजन आदि त्यागकर नियमपूर्वक व्रत रखना चाहिए तो ही उसका फल मिलता है। यदि कोई व्रत नहीं भी रख रहा है और ऐसे कार्य कर रहा तो भी उसे नुकसान उठाना होगा।