हमारे सनातन धर्म की पूजा-पद्धति में पुष्प अर्पण का विशेष महत्व है। फिर चाहे वे पुष्प माला के रूप में हों, अर्चन के रूप में हों या पुष्पांजलि के रूप में। वैसे तो पूर्ण श्रद्धाभाव से अर्पित किए गए पुष्प ईश्वर स्वीकार कर लेते हैं किन्तु हमारे शास्त्रों में किस देव को कौन से पुष्प चढ़ाए जाएं यह निर्देशित किया गया है। साथ ही साथ यह भी बताया गया है कि पुष्प चढ़ाने की सही विधि कौन सी है।
भगवान को शिव को अर्पित किए जाने वाले पुष्प-
भगवान शिव को श्वेतार्क मदार अर्थात् सफ़ेद अकाव एवं बिल्वपत्र बहुत प्रिय है। श्रावण मास में भगवान शिव को सफ़ेद अकाव के फूल की माला अर्पित करने से विशेष लाभ होता है। इसके अतिरिक्त भगवान शंकर को नीला अकाव, कनेर, धतूरे का पुष्प, शिव कटास, अपराजिता के पुष्प, शमी पुष्प, शंखपुष्पी, चमेली, नागकेसर, नागचम्पा, खस, गूलर, पलाशम केसर, कमल आदि पुष्प भी प्रिय हैं।
शिवजी को नहीं चढ़ाए जाते यह पुष्प-
शिवजी की पूजा में कुछ पुष्पों का चढ़ाया जाना शास्त्रसम्मत नहीं है। वे हैं- कदम्ब, केवड़ा, केतकी, शिरीष, अनार, जूही आदि।
पुष्प अर्पण करने की सही विधि-
किसी भी देवी-देवता को पुष्प अर्पित करने की एक खास विधि होती है। शास्त्रानुसार उसी विधि अनुसार देवी-देवताओं को पुष्प अर्पण करना चाहिए। पुष्प सदैव जिस अवस्था में खिलते हैं उसी अवस्था में अर्पित किए जाने चाहिए अर्थात् पुष्प का मुख आकाश की ओर होना चाहिए।