1. शिवजी का प्रेम सिर्फ अपनी पत्नी के लिए : भगवान शिव एक पत्निव्रता हैं। उन्होंने राजा दक्ष की पुत्री सती से विवाह किया था। माता सती के अलावा उन्होंने कभी भी किसी अन्य स्त्री को अपने हृदय में नहीं आने दिया। श्रीकृष्ण का प्रेम कई महिलाओं के बीच बंटा हुआ है, श्रीराम एक पत्नीव्रता जरूर हैं लेकिन उनके लिए पत्नी से बढ़कर अपना कर्तव्य है, जबकि शिवजी का प्रेम सिर्फ और सिर्फ माता सती या पार्वती के लिए ही है। किसी अन्य स्त्री की ओर उनकी दृष्टि नहीं जाती। महाकाव्यों में कहा गया है कि भगवान शिव से ज्यादा अपनी पत्नी का ख्याल रखने वाले कोई दूसरे देवता नहीं हैं।