3. नाग देवता : श्रावण कृष्ण पंचमी को नाग मरुस्थले और शुक्ल पंचमी को नागपंचमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन अष्टनागों की पूजा के साथ ही मनसा देवी, आस्तिक मुनि, माता कद्रू और माता सुरसा की पूजा का भी खासा महत्व है।
4. कार्तिकेय और गणेश : श्रावण मास की षष्ठी तिथि में कार्तिकेय की पूजा का भी महत्व है। इस तिथि के देवता शिव और मां पार्वती के पुत्र कार्तिकेय हैं। उनकी पूजा करने से मनुष्य श्रेष्ठ मेधावी, रूपवान, दीर्घायु और कीर्ति को बढ़ाने वाला बन जाता है। यह यशप्रदा अर्थात सिद्धि देने वाली तिथि है। इसी तरह चतुर्थी के दिन गणेशजी की पूजा भी करना चाहिए।
5. श्रीकृष्ण पूजा : श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है। मान्यता है कि भादौ की की कृष्ण अष्टमी के दिन जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। पूरे माह श्रीकृष्ण की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रीकृष्ण के साथ ही माता यशोदा, श्रीविष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा भी करना चाहिए।