1. फूल : केतकी, मदंती, केवड़ा, जूही, कुंद, शिरीष, कंद, अनार के फूल, कदंब के फूल, सेमल के फूल, सारहीन/ कठूमर के फूल, कपास के फूल, पत्रकंटक के फूल, गंभारी के फूल, बहेड़ा के फूल, तिंतिणी के फूल, गाजर के फूल, कैथ के फूल, कोष्ठ के फूल, कनेर, कमल और धव के फूल। लाल रंग के फूल भी नहीं चढ़ाते हैं।
5. तुलसी : तुलसी पहले वृंदा के रूप में जालंधर की पत्नी थी, जिसका शिवजी ने वध किया था। वृंदा इससे दु:खी होकर बाद में तुलसी का पौधा बन गई थी। इसलिए भगवान शिव को उन्होंने अपने आलौकिक और देवीय गुणों वाले तत्वों से वंचित कर दिया। दूसरा भगवान विष्णु ने तुलसी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया है इसलिए भी शिवलिंग पर तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए।
8. नारियल : शिवजी को नारियल या नारियल का पानी भी अर्पित नहीं किया जाता, क्योंकि हरियल को श्रीफल कहते हैं। श्रीफल यानी की लक्ष्मी माता का स्वरूप। माता लक्ष्मी को शिवजी को कैसे अर्पित कर सकते हैं? शिव पर अर्पित होने के बाद नारियल या नारियल पानी ग्रहण योग्य नहीं रह जाता है और शिवजी नाराज हो जाते हैं।
9. शंख या शंख से जल : भगवान विष्णु को प्रिय है शंख। शिवजी ने शंखचूर नामक असुर का वध किया था इसलिए शंख भगवान शिव की पूजा में वर्जित माना गया है। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान विष्णु का भक्त था।