Thoughts by Guru Tegh Bahadur : आज भी प्रासंगिक हैं गुरु तेगबहादुर सिंह के ये प्रेरणादायी विचार

Guru Tegh Bahadur Thoughts
गुरु तेग बहादुर सिंह का जीवन समस्त मानवीय सांस्कृतिक विरासत की खातिर बलिदान था। धर्म उनके लिए सांस्कृतिक मूल्यों और जीवन विधान का नाम था। उनके अमूल्य विचार आज भी हम सभी के लिए बहुत प्रेरणादायी है।
आइए जानें गुरु तेग बहादुर सिंह जी के 18 प्रेरणादायी विचार- 
 
* हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो, घृणा से विनाश होता है।
 
* एक सज्जन व्यक्ति वह है जो अनजाने में किसी की भावनाओ को ठेस ना पहुंचाएं।
 
* गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो।
 
* हार और जीत यह आपकी सोच पर ही निर्भर है, मान लो तो हार है ठान लो तो जीत है।
 
* किसी के द्वारा प्रगाढ़ता से प्रेम किया जाना आपको शक्ति देता है और किसी से प्रगाढ़ता से प्रेम करना आपको साहस देता है।
 
* महान कार्य छोटे-छोटे कार्यों से बने होते हैं।
 
* सफलता कभी अंतिम नहीं होती, विफलता कभी घातक नहीं होती, इनमें जो मायने रखता है वो है साहस। 
 
* सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है।
 
* दिलेरी डर की गैरमौजूदगी नहीं, बल्कि यह फैसला है कि डर से भी जरूरी कुछ है।
 
* जीवन किसी के साहस के अनुपात में सिमटता या विस्तृत होता है।
 
* प्यार पर एक और बार और हमेशा एक और बार यकीन करने का साहस रखिए।
 
* अपने सिर को छोड़ दो, लेकिन उन लोगों को त्यागें जिन्हें आपने संरक्षित करने के लिए किया है। अपना जीवन दो, लेकिन अपना विश्वास छोड़ दो।
 
* आध्यात्मिक मार्ग पर दो सबसे कठिन परिक्षण हैं, सही समय की प्रतीक्षा करने का धैर्य और जो सामने आए उससे निराश ना होने का साहस।
 
* जिनके लिए प्रशंसा और विवाद समान हैं तथा जिन पर लालच और लगाव का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। उस पर विचार करें केवल प्रबुद्ध है जिसे दर्द 
 
और खुशी में प्रवेश नहीं होता है। इस तरह के एक व्यक्ति को बचाने पर विचार करें।
 
* इस भौतिक संसार की वास्तविक प्रकृति का सही अहसास, इसके विनाशकारी, क्षणिक और भ्रमपूर्ण पहलुओं को पीड़ित व्यक्ति पर सबसे अच्छा लगता है।
 
* साहस ऐसी जगह पाया जाता है जहां उसकी संभावना कम हो।
 
* नानक कहते हैं, जो अपने अहंकार को जीतता है और सभी चीजों के एकमात्र द्वार के रूप में भगवान को देखता है, उस व्यक्ति ने 'जीवन मुक्ति' को 
 
प्राप्त किया है, इसे असली सत्य के रूप में जानते हैं।
 
* डर कहीं और नहीं, बस आपके दिमाग में होता है। 
 
प्रस्तुति - राजश्री कासलीवाल

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