1. Guru Govind Singh jee: गुरु गोविंद/गोबिन्द सिंह सिखों के दसवें गुरु थे। उनका जन्म 1666 में पौष सुदी सप्तम के दिन 9वें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर जी और माता गुजरी के घर पटना में हुआ था। आपका बचपन का नाम गोबिंद राय था। मान्यतानुसार मात्र 10 वर्ष की उम्र में ही गुरु गोविंद सिंह ही सिख धर्म के दसवें गुरु बने थे।
2. गुरु श्री गोविंद सिंह जी एक निडर तथा निर्भीक योद्धा, आध्यात्मिक नेता, महान लेखक, दार्शनिक, संगीत के पारखी, प्रख्यात कवि तथा युद्ध कौशल में महारथी थे। उनके जीवनसाथी का नाम माता जीतो, माता सुंदरी, माता साहिब देवां था तथा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह उनके बच्चे थे।
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3. एक महान पिता के रूप में भी सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी को जाना जाता है, जिन्होंने खुद अपने हाथों से बेटों को शस्त्र देकर कहा कि, 'मैदान में जाओ, दुश्मन का सामना करो और शहीदी जाम को पिओ।' वे इतने महान थे कि उन्होंने देश की अस्मिता तथा विरासत की रक्षा के लिए समाज को नए सिरे से तैयार करने का बीड़ा उठाया तथा खालसा के सृजन का मार्ग जीवन में उतारकर खालसा पंथ के संस्थापक तथा प्रथम सेनापति बने थे। उन्होंने धर्म की रक्षा हेतु मुगलों के साथ 14 युद्ध लड़े।
4. गुरु गोविंद सिंह जी का धर्म सिख था, उनके चार साहिबजादे के पीछे एक कहानी प्रचलित है, जिसका अर्थ है 'चार प्यारे', अर्थात् दृढ़ विश्वास, निडरता, साहस और अंतिम बलिदान, जिसके जरिये उन्होंने भारतीय इतिहास पर उन्होंने अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है। कहा जाता है कि उन्हें देवी मां ने यह वरदान दिया था कि 'तुम्हारी विजय होगी और धरती पर तुम्हारा पंथ सदैव चलता रहेगा।'
5. गुरु गोविद सिंह जी का निधन 07 अक्टूबर 1708 को नांदेड़ (महाराष्ट्र) में हुआ था तथा उन्होंने अपना उत्तराधिकारी गुरु ग्रंथ साहिब को बनाया था तथा इस पवित्र ग्रंथ को शाश्वत गुरु घोषित किया। सिख समुदाय में उनकी जयंती के शुभ अवसर पर गुरुद्वारों में कई तरह के विशेष कार्यक्रम तथा लंगर का आयोजन किया जाता है।
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