* सन् 16 जनवरी, 1630 ई. में गुरु हर राय जी का जन्म पंजाब में हुआ था।
* गुरु हर राय जी को 14 वर्ष की आयु में सप्तम नानक बने थे।
* ईमानदारी से कमाई का अंश असहायों को दान करने पर उनका अधिक जोर था।
Guru Har Rai Ji History : सिख धर्म के महान आध्यात्मिक एवं 7वें गुरु, गुरु हर राय जी की जयंती 16 जनवरी को मनाई जाती है। उन्होंने सदा नैतिकवादी जीवन जीने की सलाह दी। आइए यहां जानते हैं गुरु हर राय का जीवन परिचय और महान योद्धा के बारे में-
• एक महान योद्धा के रूप में पहचाने जानेवाले गुरु हर राय जी का जन्म 16 जनवरी, 1630 को किरतपुर साहिब में हुआ था। गुरु हर राय जी सिखों के सातवें गुरु थे।
• गुरु हर राय जी का जन्म पंजाब में हुआ था। गुरु हर राय जी, सिखों के छठे गुरु बाबा गुरु दित्ता एवं माता निहाल कौर के पुत्र थे। और उनके दादाजी का नाम गुरु हरगोविंद जी सिंह था।
• सिखों के छठवें गुरु हरगोविंद सिंह जी को जब इस बात का आभास हो गया कि अब उनका अंतिम समय निकट आने वाला है तो उन्होंने अपने पौत्र को गद्दी सौंप दी यानी अपने पोते हर राय जी को 'सप्तम् नानक' के रूप में घोषित किया था। उस समय उनकी उम्र मात्र 14 वर्ष की थी।
• गुरु हर राय जी का विवाह किशन कौर जी के साथ हुआ था। गुरु हर राय जी के दो पुत्र थे। राम राय और हरकिशन सिंह जी (गुरु) थे।
• गुरु हर राय सिंह जी शांत स्वभाव के थे, उनका व्यक्तित्व लोगों को प्रभावित करता था। वह आध्यात्मिक व राष्ट्रवादी महापुरुष होने के साथ एक कुशल योद्धा भी थे।
• एक बार मुगल शासक औरंगजेब के भाई दारा शिकोह किसी अनजान बीमारी से ग्रस्त हुआ, तब गुरु हर राय जी ने उनकी मदद की और उसे मौत के मुंह से बचा लिया था।
गुरु हर राय जी का जन्मोत्सव या प्रकाश पर्व सिख धर्मावलंबी बहुत ही श्रद्धापूर्वक मनाते हैं। इस दिन गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ तथा लंगर यानी सामूहिक भोज का आयोजन होता है। गुरु हर राय जी की जयंती बेहद धूम-धाम से मनाई जाती है।
• सन् 1661 ई. में कार्तिक वदी नवमी को गुरु हर राय जी की मृत्यु कीरतपुर साहिब में हुई थी। उन्हें एक महान आध्यात्मिक एवं राष्ट्रवादी महापुरुष कहा जाता है।