जिस तरह शैवपंथ के लिए शंकराचार्य, मत्स्येन्द्रनाथ, गुरु गौरखनाथ हुए, उसी तरह वैष्णवपंथ के लिए रामानुजाचार्य, रामानंदाचार्य, वल्लभाचार्य ने उल्लेखनीय कार्य किए। उन्होंने वैष्णव संप्रदायों को पुनर्गठित किया तथा वैष्णव साधुओं को उनका आत्मसम्मान दिलाया। शैव संन्यासियों की तरह वैष्णवों के भी संप्रदाय और अखाड़े हैं। उन संप्रदायों और अखाड़ों के अंतर्गत उप-संप्रदाय और अखाड़े भी अस्तित्व में है।
1- श्री दिगम्बर आनी अखाड़ा- इसका मठ श्यामलालजी, खाकचौक मंदिर, पोस्ट- श्यामलालजी, जिला-सांभर कांथा, गुजरात में स्थित है। इसका दूसरा मठ दिगम्बर अखाड़ा तपोवन, नासिक, महाराष्ट्र में स्थित है। पहले के संत है- श्रीमहंत केशवदास और दूसरे के श्रीमहंत रामकिशोर दास।
2- श्री निर्वाणी आनी अखाड़ा- इसका मठ अयोध्या हनुमान गढ़ी जिला- फैजाबाद में स्थित है और इसके संत हैं- श्रीमहंत धर्मदास। दूसरा मठ- श्रीलंबे हनुमान मंदिर, रेलवे लाइन के पीछे, सूरत, गुजरात में है और इसके संत हैं- श्रीमहंत जगन्नाथ दास।
3- श्री निर्मोही आनी अखाड़ा- इसका मठ धीर समीर मंदिर, बंशीवट, वृन्दावन, मथुरा में स्थित है और इसके संत हैं- श्रीमहंत मदन मोहन दास। दूसरा मठ- श्रीजगन्नाथ मंदिर, जमालपुर, अहमदाबाद, गुजरात में स्थित है और इसके संत हैं- श्रीमहंत राजेन्द्र दास।