महाकाल गिरि बाबा अपने गुरु उर्ध्व बाहू तपस्वी हठयोगी कर्जन महंत भोलागिरि बापूजी की प्रेरणा से विश्व कल्याण और गऊ माता की रक्षा के लिए पिछले 9 वर्षों से एक ही पैर पर खड़े हैं। उन्हीं के संकल्प से यह अगरबत्ती प्रज्वलित की गई है। यह अद्भुत अगरबत्ती, जो सिंहस्थ की शुरुआत से ही जल रही है। इसके संबंध में दावा किया जाता है कि यह सिंहस्थ के अंत तक जलती रहेगी।
भोलागिरि महाराज के दूसरे शिष्य पाताल गिरिजी महाराज ने बताया कि गौमूत्र, गोबर, दही, गाय का घी, गुगल, चन्दन, कपूर के अलावा 21 आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से निर्मित यह अगरबत्ती 121 फिट लंबी है। इसको बनाने के लिए 75 दिन लगे हैं। यह कुंभ के अंदर 45 दिन अखंड चेतन रहेगी। इसकी लागत कम से कम साढ़े तीन लाख रुपया लगी है।