इसी सिंहस्थ में शाही स्नान को जुलूस के रूप में जाने के विषय में 4 प्रमुख संन्यासी अखाड़ों- जूना, दत्त, महानिर्वाणी व निरंजनी ने 13 मई 1957 के सिंहस्थ स्नान के लिए समझौता किया कि सबसे आगे दत्त अखाड़े का निशान, फिर तीनों अखाड़े के निशान घोड़ों पर समान श्रेणी में, फिर तीनों अखाड़ों के साइन बोर्ड, फिर बैंड, फिर भाले तीनों अखाड़ों के एकसाथ बराबर-बराबर, तीनों अखाड़ो के देवताओं की पालकियां बराबर-बराबर, फिर गुरु दत्त अखाड़े के पीरजी का हाथी अकेला, उसके पीछे तीनों अखाड़े के आचार्य हाथियों पर बराबर-बराबर, फिर नागे महापुरुषों के चलने का निर्णय हुआ। इस संबंध में हस्ताक्षर करने वालों में श्रीमहंत विष्णुगिरि, श्रीमहंत मंगलपुरी, महंत ओंकारपुरी, महंत दत्तगिरि व महंत किशोरपुरी थे।