उन्होंने भाजपा अध्यक्ष का नाम लिए बगैर कहा कि समरसता स्नान की घोषणा से ऐसा लगता है, जैसे इससे पहले सिंहस्थ में दलित वर्ग के साथ भेदभाव किया जा रहा था जबकि वास्तविकता यह है कि आज तक किसी अन्नक्षेत्र या स्नान में किसी की भी जाति नहीं पूछी जाती और बिना किसी भेदभाव के सभी कार्यक्रम हो रहे हैं।
केलकर ने कहा कि सिंहस्थ एक धार्मिक और आध्यात्मिक उत्सव है, लेकिन धार्मिक आयोजन पर भी राजनीतिक कब्जे का प्रयास होने लगा है। यहां नेताओं के इतने फोटो लगाए गए हैं, मानो यह कोई राजनीतिक कार्यक्रम हो। हर नेता अपना फोटो लगाकर लोगों को सिंहस्थ में आमंत्रण दे रहा है जबकि लोग यहां अपनी आस्था के कारण आ रहे हैं।