राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को परेशानी में डाल सकती है सीरिंज
सोमवार, 2 अप्रैल 2018 (16:10 IST)
गोल्ड कोस्ट। भारतीय राष्ट्रमंडल खेल दल को मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि कयास लगाए जा रहे हैं कि उसके मुक्केबाजों के पास सीरिंज पाई गई, जो कि प्रतियोगिता के दौरान किसी तरह की नीडल (सुई) साथ में नहीं रखने की नीति का उल्लंघन है।
हालांकि माना जा रहा है कि देश को डोपिंग से जुड़ी किसी शर्मिंदगी का सामना नहीं करना पड़ेगा। सीजीएफ सीईओ डेविड ग्रेवमबर्ग ने यहां संवाददाता सम्मेलन में सीरिंज मिलने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि सीजीएफ ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है लेकिन उन्होंने जिस देश की जांच की जा रही है उसमें भारत का नाम नहीं लिया।ग्रेवमबर्ग ने कहा कि सीजीएफ संबंधित राष्ट्रमंडल खेल महासंघ के साथ बातचीत कर रहा है।
कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मामले में भारतीय मुक्केबाज जांच के दायरे में हैं। खेलों का उदघाटन समारोह 4 अप्रैल को होगा और 5 अप्रैल से इनकी शुरुआत होगी। ग्रेवमबर्ग ने कहा कि उस राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीए) को सोमवार को बाद में हमारे चिकित्सा आयोग से मिलने के लिए बुलाया गया है।
भारतीय दल ने अपनी तरफ से कहा कि उन्होंने कोई गलती नहीं की है। उन्होंने दावा किया कि सीरिंज किसी अन्य टीम की हो सकती हैं, जो खेलगांव के उसी कंपाउंड में ठहरी है। एक शीर्ष अधिकारी ने पुष्टि की कि सीरिंज एक भारतीय से मिली है लेकिन उन्होंने डोपिंग उल्लंघन का खंडन किया। भारतीय दल के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि किसी तरह का डोपिंग उल्लंघन नहीं हुआ है, क्योंकि सीरिंज का उपयोग मल्टी-विटामिन का इंजेक्शन लेने के लिए किया गया था। मुक्केबाजों का परीक्षण किया गया था और अगर किसी तरह का उल्लंघन होता तो हमें अब तक पता चल गया होता।
हमें अब सीजीएफ के फैसले का इंतजार है। इस बीच सीजीएफ सीईओ ने कहा कि संबंधित राष्ट्रमंडल खेल संघ के स्पष्टीकरण के आधार पर सजा तय की जाएगी। खेलों की आयोजन समिति के चेयरमैन पीटर बीटी ने कहा कि इस मामले से पूरी पारदर्शिता के साथ निबटा जाएगा। उन्होंने कहा कि (चिकित्सा आयोग की) रिपोर्ट में संबंधित सीजीए की गवाही शामिल होगी।
उसे आगे के विचार-विमर्श और उपयुक्त सजा तय करने के लिए हमारे महासंघ की अदालत के पास भेजा जाएगा। बीटी ने कहा कि इसमें पूरी पारदर्शिता रखी जाएगी और कुछ भी छिपाया नहीं जाएगा। सीजीएफ की किसी तरह की नीडल (सुई) साथ में नहीं रखने की नीति किसी तरह की चिकित्सा सहायता के बिना इंजेक्शन लेने से रोकती है।
इस नीति में केवल उन खिलाड़ियों के लिए ढिलाई बरती गई है जिनके लिए किसी चिकित्सक की देखरेख में कोई दवा या पोषक तत्व लेना जरूरी है। सीजीएफ ने हालांकि कहा कि खिलाड़ी को पूर्व में मंजूरी लेनी चाहिए और ऐसा नहीं करने पर उस पर अनिर्दिष्ट प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। (भाषा)