Paris Paralympics: तुलसीमति, सुहास ने रजत और मनीषा ने कांस्य पदक जीता

WD Sports Desk

मंगलवार, 3 सितम्बर 2024 (12:23 IST)
भारत के कुमार नितेश ने सोमवार को यहां पुरुष एकल एसएल3 में अपना पहला पैरालंपिक स्वर्ण पदक जीता जबकि सुहास यथिराज और तुलसीमति ने क्रमश: SL 4 और SU 5 वर्ग में रजत पदक जीते जिससे सोमवार को भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों ने चार पदक अपनी झोली में डाले।

मनीषा रामदास ने महिला एकल एसयू 5 वर्ग में कांस्य पदक जीतकर भारतीय पैरा बैडमिंटन के लिये इस दिन को यादगार बना दिया।वहीं सुहास यथिराज ने पैरालम्पिक खेलों में लगातार दूसरी बार रजत जीता जो पुरूष एकल एसएल4 स्पर्धा के फाइनल में फ्रांस के लुकास माजूर से सीधे गेम में हार गए । 2007 बैच के आईएएस अधिकारी 41 वर्ष के सुहास को एकतरफा मुकाबले में 9 . 21, 13 . 21 से पराजय झेलनी पड़ी।

तोक्यो पैरालम्पिक में तीन साल पहले भी लुकास ने ही सुहास को हराया था। बायें टखने में विकार के साथ पैदा हुए सुहास एसएल4 वर्ग में खेलते हैं ।उन्होंने कहा ,‘‘ मिश्रित भाव आ रहे हैं । एक तरफ तो रजत जीता है लेकिन दूसरी तरफ स्वर्ण से चूक गए । मैं देशवासियों से माफी मांगना चाहता हूं।’’

महिला एकल एसयू5 वर्ग के फाइनल में बाइस साल की शीर्ष वरीय तुलसीमति को चीन की गत चैंपियन यैंग कियू शिया के खिलाफ 17-21 10-21 से हार के साथ रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

बाएं हाथ में जन्मजात विकृति के साथ पैदा हुई तुलसीमति ने कहा, ‘‘मैं रजत पदक से खुश हूं लेकिन थोड़ा निराश भी हूं कि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर सकी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने बहुत सारी गलतियां कीं। मुझे पहला गेम जीत लेना चाहिए था। मैंने ड्रिफ्ट और फिर कुछ सहज गलतियों के कारण एक-दो अंक गंवाए जिससे उसे बढ़त मिल गई।’’

उन्नीस साल की दूसरी वरीय मनीषा ने डेनमार्क की तीसरी वरीय कैथरीन रोसेनग्रेन को 21-12 21-8 से हराकर कांस्य पदक जीता। मनीषा एर्ब पाल्सी के साथ पैदा हुई थी जिसके कारण उनका दाहिना हाथ प्रभावित है।

मनीषा ने कहा, ‘‘मैं बहुत खुश हूं। मैं सातवें आसमान पर हूं। कल मैं वाकई बहुत निराश थी। मैं इससे उबर नहीं पाई। आज जब से मैं उठी हूं, मैं अब भी मैच के बारे में सोच रही हूं। कल कुछ गलतियां करने के कारण मैं गुस्से में थी इसलिए मैंने आज कोर्ट पर अपना सारा गुस्सा निकाल दिया। लेकिन मेरे लिए यह काफी नहीं है, मैं पदक का रंग बदलने के लिए अगले चार साल तक कड़ी मेहनत करूंगी।’’

एसएल3 वर्ग के खिलाड़ियों के शरीर के निचले हिस्से में अधिक गंभीर विकार होता है और वह आधी चौड़ाई वाले कोर्ट पर खेलते हैं।एसयू5 वर्ग उन खिलाड़ियों के लिए है जिनके ऊपरी अंगों में विकार है। यह खेलने वाले या फिर दूसरे हाथ में हो सकता है।

सुकांत कदम के पास कांस्य जीतने का मौका था लेकिन वह पुरूष एकल एसएल 4 वर्ग में कांस्य पदक के प्लेआफ मुकाबले में इंडोनिशया के तीसरी वरीयता प्राप्त फ्रेडी सेताइवान से 17 . 21, 18 . 21 से हार गए।

जुझारूपन की मिसाल हैं तुलसीमति :

तुलसीमति जन्मजात विकृति के साथ पैदा हुई थी जिसके कारण उनके बाएं हाथ में अंगूठा नहीं था। उन्हें हाथ और बांह में सुन्नपन, झुनझुनी और कमजोरी के साथ-साथ मांसपेशियों के पतले होने का सामना करना पड़ा।

दुर्घटना में लगी गंभीर चोट के कारण उनकी चुनौतियां और भी बढ़ गईं जिससे उनके बाएं हाथ की गतिशीलता सीमित हो गई।इसके बावजूद तुलसीमति के खिलाड़ी के सफर की शुरुआत पांच साल की उम्र में हुई और सात साल की उम्र तक वह पूरी तरह से बैडमिंटन में डूब गई।

Medal No.  for India at the Paris Paralympics.

Heartbreaking loss for India's Suhas Lalinakere Yathiraj in the Men's Singles SL4 final at the 2024 Paralympics, as he fell to Lucas Mazur of France in straight sets, 21-9, 21-13.#Paralympics #Badminton @mansukhmandviyapic.twitter.com/tL4rXAdH8c

— Doordarshan Sports (@ddsportschannel) September 2, 2024
IAS अधिकारी सुहास का दूसरा रजत :

सुहास यथिराज खेल के साथ पढाई में भी अव्वल रहे हैं। बायें टखने में विकार के बावजूद उन्होंने कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में डिग्री लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की परीक्षा उत्तीर्ण की।कोरोना महामारी के दौरान वह गौतम बुद्ध नगर के डीएम थे और इससे पहले प्रयागराज के डीएम भी रह चुके हैं। इस समय वह उत्तर प्रदेश सरकार में युवा कल्याण और प्रांतीय रक्षक दल के सचिव और महानिदेशक हैं।  (भाषा)

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