विवादों से जूझने के बाद अब भारतीय दल की निगाहें एशियाई खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर
शुक्रवार, 17 अगस्त 2018 (16:35 IST)
जकार्ता। राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन के बाद भारतीय दल की कोशिश अब कल से यहां शुरू होने वाले 18वें एशियाई खेलों में भी बेहतर खेल दिखाकर सर्वश्रेष्ठ करने की होगी, हालांकि यहां पहुंचने से पहले उसे कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ा।
एशियाई खेलों की तैयारियां काफी तनावपूर्ण रहीं जिसमें चयन संबंधित शिकायतों और अदालती कार्रवाई के अलावा हमेशा की तरह दल की संख्या 804 (एथलीट और अधिकारियों को मिलाकर) को लेकर विवाद शामिल रहा तथा सबसे अहम दल के साथ पहुंचे अधिकारियों की छवि पर उठे सवाल रहे।
लेकिन भारतीय खेलों में पिछले कई दशकों की तरह ही एथलीट यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि सभी का ध्यान टूर्नामेंट शुरू होने के साथ नतीजों पर ही लगा रहे।
गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने पदकों की संख्या में दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। लेकिन ज्यादातर खिलाड़ियों और उनके कोचों ने स्वीकार किया है कि चीन, जापान और कोरिया जैसे ताकतवर देशों की मौजूदगी में उसके लिए चुनौती काफी मुश्किल होगी। हालांकि इससे न तो उत्साह और न ही उम्मीदों में कमी आई।
भारत ने 2014 एशियाड में पदकों की संख्या के हिसाब से अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की बराबरी की थी जिसमें 11 स्वर्ण से 57 पदक शामिल रहे थे और 572 खिलाड़ियों के दल से इससे बेहतर की उम्मीद होगी।
दावेदारों में हरियाणा की 16 साल की निशानेबाज मनु भाकर से लेकर फार्म से जूझ रहे पहलवान सुशील कुमार तथा फार्म में चल रहे और लगातार नई ऊंचाईयां छू रहे भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा शामिल हैं।
दल में हिमा दास जैसी एथलीट मौजूद हैं जो अंडर-20 विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं। असम के किसान की बेटी ने इसके बाद उम्मीदें काफी बढ़ा दी हैं और अगर वह जकार्ता में पोडियम स्थान पर पहुंचती हैं तो उनका खेलों में कद बड़ा ही होगा। इसमें कोई शक नहीं कि वह खेलों में प्रबल दावेदारों में शामिल होंगी।
भारत के ट्रैक एवं फील्ड सितारों ने एशियाड के इतिहास में शानदार प्रदर्शन किया है जिन्होंने 74 स्वर्ण सहित 282 पदक अपने नाम किए हैं और इस बार भी कुछ अलग नहीं होगा।
बैडमिंटन कोर्ट पर पीवी सिंधू फाइनल के मिथक को तोड़ना चाहेंगी। लेकिन एक बार फिर उन्हें इस खेल के मजबूत देशों चीन, थाईलैंड और जापान के खिलाड़ियों की कड़ी चुनौती का सामना करना होगा।
साइना नेहवाल भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहेंगी, हालांकि देखना होगा कि उनका शरीर उनका साथ कैसे देता है क्योंकि अभी तक का सत्र काफी चुनौतीपूर्ण रहा है।
श्रीकांत और एच एस प्रणय के साथ इन सबके भारत की पदक तालिका में इजाफा करने की उम्मीद है। भारत कुश्ती मैट पर भी अच्छे प्रदर्शन की आस कर सकता है जिसमें फार्म में चल रहे बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट को पदक के पक्के दावेदारों के रूप में देखा जा रहा है।
पूनिया ने सिर्फ राष्ट्रमंडल खेलों में ही नहीं बल्कि जकार्ता खेलों से पहले तबलिसी ग्रां प्री और यासर दोगु अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भी वह चैम्पियन रहे। हालांकि फार्म से जूझ रहे कुछ सितारों जैसे ओलंपिक स्वर्ण पदकधारी सुशील कुमार और साक्षी मलिक के लिए खुद को साबित करने का अच्छा मौका होगा।
सुशील चार साल में पहली बार जार्जिया में तबलिसी ग्रां प्री में अपनी पहली बाउट हार गए, वहीं इस्तांबुल में यासर दोगु में साक्षी पदक दौर में पहुंचने में असफल रही थीं। इनकी साख दाव पर लगी है और इसे वापस लाने में स्वर्ण पदक से कम कुछ भी मदद नहीं करेगा।
पुरुष हॉकी टीम स्वर्ण पदक जीतकर सीधे 2020 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने पर नजर लगाए होगी। टीम हाल में चैम्पियंस ट्राफी में ऑस्ट्रेलिया के बाद उप विजेता रही थी और उसके सामने ज्यादा कड़ी चुनौतियां नहीं होंगी इसलिए अगर वह स्वर्ण के बिना लौटती है तो यह निराशाजनक ही होगा।
महिला टीम विश्व कप के सेमीफाइनल में ऐतिहासिक स्थान से चूक गई लेकिन रानी रामपाल की अगुवाई वाली टीम से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है और वह इंचियोन में कांस्य पदक के रंग को बदलना चाहेगी।
पालेमबांग में शूटिंग रेंज में मनु भाकर आकर्षण का केंद्र होगी और उसकी फार्म को देखते हुए अगर वह शानदार प्रदर्शन नहीं कर पाती है तो यह हैरान करने वाला होगा। मुक्केबाजी रिंग में भी कुछ मजबूत भारतीय खिलाड़ी जैसे विकास कृष्ण, शिव थापा और तेजी से ऊपर बढ़ते गौरव सोलंकी भारतीय पुरुष चुनौती का प्रतिनिधित्व करेंगे। महिलाओं में विश्व रजत पदकधारी सरजूबाला देवी भी पदक की दावेदार होंगी।
टेनिस दल पहले ही अजीब तरह के ड्रामे का सामना करना रहा है और यह हर बड़े टूर्नामेंट में उसका ट्रेडमार्क बनता जा रहा है। लिएंडर पेस के अंतिम समय पर हटने से कोच कम कप्तान जीशान अली को पुरुष और मिश्रित युगल के जोड़ीदारों का चयन करना होगा।
हालांकि इस अनुभवी स्टार के इस कदम से कितना असर पड़ता है, यह देखना दिलचस्प होगा। वहीं विश्व चैम्पियन मीराबाई चानू की अनुपस्थिति में भारतीय चुनौती भारोत्तोलन में कमजोर हुई है।
टेबल टेनिस में मनिका बत्रा राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्णिम प्रदर्शन को दोहराना चाहेंगी लेकिन यह इतना आसान नहीं होगा क्योंकि ड्रॉ में चीन और जापान के खिलाड़ी शामिल है। पुरुषों में अनुभवी अचंत शरद कमल के प्रदर्शन पर सभी की निगाहें होगी।
चोट से वापसी करने वाली दीपा कर्माकर जिम्नास्टिक के वॉल्ट स्पर्धा में अपना लोहा मनवाना चाहेंगी। हालांकि कुछ दिलचस्प खेलों में भी प्रदर्शन देखना दिलचस्प होगा जिसमें पेनकाक सिलाट और ब्रिज शामिल है। भारत इनमें भाग लेगा लेकिन पदक की दावेदारी स्पष्ट नहीं है। दो सितंबर को समाप्त होने वाले इन खेलों में 45 देशों के 11,000 खिलाड़ी भाग लेंगे। (भाषा)