रीवा। 'खेल हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। खेलों को हमेशा खेल भावना से साथ खेलना चाहिए। खेल संस्कृति विकसित कर हम दुनिया में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर सकते हैं।' यह बात रीवा कमिश्नर डॉ. अशोक भार्गव ने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की स्मृति में राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर छात्र-छात्राओं एवं खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कही।
डॉ. भार्गव ने कहा कि खेल आम आदमी की जिंदगी का हिस्सा बनें इस दिशा में प्रयास करना हम सबकी महती जिम्मेदारी है। खेलों से व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास होता है, इसलिए स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ अन्य पाठ्येत्तर गतिविधियों पर भी ध्यान देना जरूरी है। खेल के मैदान हमारे चरित्र निर्माण की प्रयोगशालाएं हैं। खेलों को आत्मीयता के साथ खेलने से धर्म निरपेक्षता का दर्शन सगुण हो जाता है। खेलों से जीवन में अनुशासन आता है और उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
उन्होंने कहा कि उत्कृष्ट खिलाड़ी वह है, जो राष्ट्र के काम आए। उन्होंने विभिन्न रोचक प्रसंग, कहानियों और उदाहरणों के माध्यम से छात्र-छात्राओं को समझाते हुए कहा कि कामयाबी के लिए मेहनत, लगन, निष्ठा की जरूरत होती है, इसलिए आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय रखकर विपरीत परिस्थितियों में भी खिलाड़ियों को हमेशा उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए पूरी कोशिश करना चाहिए।
डॉ. भार्गव ने शायराना अंदाज में बच्चों को समझाइश देते हुए कहा कि 'बेहतर से बेहतर की तलाश करो, मिल जाए नदी तो समुद्र की तलाश करो, टूट जाता है शीशा पत्थर की चोट से, तोड़ दे जो पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो।' समारोह में उन्होंने राष्ट्रीय शालेय प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित कर राष्ट्रीय खेल दिवस की शुभकामनाएं दी।
कार्यक्रम में जिला शिक्षा अधिकारी रामनरेश पटेल, जिला खेल अधिकारी राजेश शाक्य, कराटे कोच कुशल थापा, भूतपूर्व कबड्डी खिलाड़ी एमपी सिंह, मुद्रिका प्रसाद तिवारी, मोहन लाल शर्मा, भूतपूर्व वॉलीबाल खिलाड़ी सुखीनंद गौतम सहित प्राचार्य मार्तण्ड स्कूल, छात्र-छात्राएं, शिक्षकगण उपस्थित थे।