यादव ने कहा कि मुझे फिजी से अच्छी चुनौती मिलने की उम्मीद थी, इंग्लैंड से नहीं। सारा ने जब आखिरी लिफ्ट में 128 किलो वजन उठाने का फैसला किया तो मैं नर्वस थी, क्योंकि वे उठा सकती थीं। उन्होंने कहा कि लेकिन यह किस्मत की बात है। मुझे वह मिला, जो मेरी तकदीर में था और उसे वह जो उसकी तकदीर में था। शुक्र है कि कुछ देर के लिए हमारे फिजियो को आने दिया गया जिन्होंने मेरे घुटने पर पट्टी लगाई। मुझे वहां दर्द हो रहा था।
यादव ने कहा कि मेरे पिता ने मेरे प्रशिक्षण के लिए कर्ज लिया था। मैंने पदक जीतने के बाद वह चुका दिया। वे घर में पूजा-पाठ करते हैं और मेरी मां गृहिणी हैं। मैं और मेरी बहन ही घर चलाते हैं। मैं भारतीय रेलवे में कर्मचारी हूं। इससे पहले मीराबाई चानू (48 किलो), संजीता चानू (53 किलो), सतीश शिवालिंगम (77 किलो) और वेंकट राहुल रागाला (85 किलो) ने भारत को भारोत्तोलन में 4 स्वर्ण दिलाए। (भाषा)