नई दिल्ली। भारत की मिटटी से जुड़े सबसे पुराने खेलों में से एक खो-खो अब एशियाई खेलों में शुमार होने जा रहा है। भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) के महासचिव और एशियाई खो-खो महासंघ के अध्यक्ष राजीव मेहता ने मंगलवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में अल्टीमेट खो-खो को लांच किए जाने के अवसर पर यह घोषणा की। मेहता ने बताया कि एशियाई ओलम्पिक परिषद (ओसीए) ने खो-खो को एशियाई खेलों में एक खेल के रूप में अपनी स्वीकृति दे दी है।
मेहता ने कहा, 2021 में खो-खो को एशियाई इंडोर गेम्स में एक प्रदर्शनी खेल के रूप में पेश किया जाएगा और हमें पूरा विश्वास है कि 2022 के एशियाई खेलों में इसे एक खेल के रूप में शामिल कर लिया जाएगा। मेहता को हाल ही में एशियाई खो-खो महासंघ का अध्यक्ष चुना गया था।
भारतीय खो-खो महासंघ के पूर्व अध्यक्ष रह चुके मेहता ने खो-खो महासंघ के मौजूदा अध्यक्ष सुधांशु मित्तल की मौजूदगी में कहा, खो-खो को एशियाई खेलों में मार्शल आर्ट्स खेलों के रूप में शामिल किया जाएगा। हमने इस बारे में अगले एशियाई खेलों के मेजबान चीन से बातचीत की है जिसने इसके लिए सकारात्मक रूख दिखाया है।
आईओए के महासचिव मेहता ने कहा, हम 2032 में होने वाले ओलम्पिक खेलों के लिए अपनी दावेदारी पेश करेंगे और मेजबान आयोजन समिति को 2-3 अपने खेलों को शामिल करने का अधिकार होता है। हम इन खेलों में खो-खो, कबड्डी और योग को प्रदर्शनी खेलों के रूप में शामिल कर सकते हैं।
इस बीच केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कहा, हम ओलम्पिक खेलों को तो फंडिंग करते हैं और साथ ही हमने भारतीय मार्शल आर्ट्स खेलों को भी फंडिंग करना शुरू कर दिया है। हम खो-खो को भी खेलों की प्राथमिकता सूची में लाने पर विचार करेंगे।