हॉकी इंडिया ने ओल्टमैन्स को किया बर्खास्त

शनिवार, 2 सितम्बर 2017 (18:09 IST)
नई दिल्ली। हॉकी इंडिया ने सीनियर टीम के हाल के निराशाजनक प्रदर्शन को देखते हुए मुख्य कोच रोलेंट ओल्टमैन्स को उनके पद से हटा दिया है। शनिवार को समाप्त हुई 3 दिवसीय बैठक में यह फैसला लिया।
 
हॉकी इंडिया ने अपनी हाई परफॉर्मेंस और डेवलपमेंट कमेटी की शनिवार को समाप्त हुई 3 दिवसीय बैठक में यह फैसला लिया। पुरुष सीनियर टीम के वर्ल्ड लीग सेमीफाइनल टूर्नामेंट और यूरोपियन टूर के प्रदर्शन के आधार पर यह फैसला किया गया। 
 
यह फैसला लेने में 2018 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों और विश्व कप तथा 2020 के टोकियो ओलंपिक को भी ध्यान में रखा गया ताकि इन महत्वपूर्ण टूर्नामेंटों में टीम बेहतर प्रदर्शन कर सके। 
 
बैठक के सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में ओल्टमैन्स को मुख्य कोच पद से हटने के लिए कहा गया हालंकि साथ ही टीम के ओवरऑल फिटनेस स्तर में सुधार लाने के लिए उनकी भूमिका की सराहना भी की गई। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि टीम का प्रदर्शन निरंतर नहीं था और वांछित स्तर के अनुरूप भी नहीं था। 
 
3 दिन तक चली बैठक में 24 सदस्यों ने हिस्सा लिया जिसमें हरबिंदर सिंह, बीपी गोविंदा, वी. भास्करन, थोइबा सिंह, डॉ. एबी सुब्बैया, डॉ. आरपी सिंह, जॉयदीप कौर, सरदार सिंह, पीआर श्रीजेश, मनप्रीत सिंह, रोलैंट ओल्टमैन्स, जुगराज सिंह, अर्जुन हलप्पा, हंस स्ट्रीडर, स्कॉट कॉनवे, डेविड जॉन, एलेना नार्मन, मरियम्मा कोशी, मोहम्मद मुश्ताक अहमद, राजिंदर सिंह, तपन दास, भोला नाथ सिंह, फिरोज अंसारी और ज्ञानेन्द्रो निन्गोमबम शामिल थे। 
 
भारतीय पुरुष टीम को सफलता के पथ पर आगे ले जाने के लिए सभी समिति सदस्यों से विचार लिए गए। इसके अलावा हाई परफॉर्मेंस निदेशक और हॉकी इंडिया की चयन समिति को कहा गया है कि वह सभी सीनियर कोर संभावितों का पूरी तरह आकलन करे और उन पर अपनी रिपोर्ट दे ताकि यह देखा जा सके कि इनमें से किन्हें हटाकर युवा खिलाड़ियों को जगह दी जा सकती है। युवा टीम ने हाल के अपने यूरोप टूर से काफी उम्मीद जगाई है जिससे यह साबित होता है कि बदलाव का समय आ गया है। 
 
हाई परफॉर्मेंस डायरेक्टर डेविड जॉन अब अंतरिम प्रभार संभालेंगे जब तक ओल्टमैन्स की जगह नई नियुक्ति नहीं हो जाती। चयन समिति के अध्यक्ष हरबिंदर सिंह ने कहा कि समिति इस बात से एकमत थी कि टीम का 2016 और 2017 में प्रदर्शन संतोषजनक नहीं था और एशिया के प्रदर्शन को अब सफलता का मापदंड नहीं माना जा सकता। हमें अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में परिणाम देने होंगे, जहां पिछले 2 वर्षों में हमें इक्का-दुक्का कामयाबी ही मिली है। 
 
हरबिंदर ने कहा कि अच्छे परिणाम लाने के लिए हमें कड़े फैसले लेने होंगे ताकि भारतीय हॉकी का भविष्य बेहतर बनाया जा सके। कोचिंग का मौजूदा फॉर्मेट एक स्तर से आगे परिणाम नहीं दे पा रहा था। 
 
समिति का सर्वसम्मति से यह मानना था कि तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। परिवर्तन हमेशा सहज नहीं होता है लेकिन यह जरूरी होता है। यदि हमें 2018 के टूर्नामेंटों के लिए प्रबल दावेदार बनाना है तो ये परिवर्तन करने होंगे। (वार्ता) 

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