ओलंपिक कांस्य पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक ने सोमवार को प्रतिस्पर्धी कुश्ती में वापसी को खारिज करते हुए कहा कि राष्ट्रीय महासंघ के पूर्व प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न के लिए लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन से वह मानसिक रूप से थक गयी हैं।
पिछले साल दिसंबर में बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के भारतीय कश्ती महासंघ (WFI) के चुनाव में अध्यक्ष चुने जाने के बाद साक्षी ने रोते हुए प्रेस कांफ्रेंस में कुश्ती से संन्यास की घोषणा की थी।
वह ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट के साथ महीनों से विरोध प्रदर्शन कर रही हैं जिसमें उनकी मांग बृजभूषण सिंह को हटाने और गिरफ्तार करने की थी।
साक्षी मलिक ने भारत में मी टू अभियान के प्रभाव पर चर्चा के लिए एक पैनल चर्चा में कहा, एक साल से ज्यादा का समय हो गया है, इतना ज्यादा मानसिक दबाव है और हम हर संभव तरीके से इस विरोध प्रदर्शन को सफल बनाने की कोशिश में जुटे हैं इसलिये मैं कुश्ती जारी नहीं रख पाऊंगी।
उन्होंने कहा, मुझे भारत के लिए ओलंपिक कांस्य पदक मिला और मैं चाहती हूं कि मेरे जूनियर रजत और स्वर्ण पदक जीतें। मैं भारत में हर लड़की को अपना सपना साकार करते हुए देखना चाहूंगी।
साक्षी ने कहा, कई लोगों ने मुझे कुश्ती में जारी रखने की सलाह दी लेकिन मैं बृजभूषण जैसे लोगों के बीच कुश्ती नहीं करना चाहती। बुरा लगता है जब आप ऐसे लोगों को खुले में घूमता हुए देखते हो। ऐसा लगता है कि वह अब भी चीजों पर नियंत्रण बनाये है।
उन्होंने कहा, मैंने ये घटनायें सिर्फ सुनी नहीं हैं बल्कि व्यक्तिगत रूप से उत्पीड़न का अनुभव किया है। मैंने कुश्ती छोड़ दी लेकिन युवा पहलवान उम्मीद लगाये हैं कि हमारा अभियान बृजभूषण जैसे लोगों को हटा देगा। हम जो कर सकते थे हमने किया।
साक्षी ने कहा, मैं एक बार फिर सरकार से इल्तजा करती हूं कि उससे जुड़े लोगों को कुश्ती प्रशासन में आने की अनुमति नहीं दे। मैं हमेशा सकारात्मक बनी रहूंगी। मुझे सकारात्मक नतीजे की उम्मीद है। (भाषा)