कृष्णामूर्ति ने बताया कि माइकल का अंतिम संस्कार शनिवार को सिंगापुरा गिरिजाघर के कब्रिस्तान में होगा। माइकल के करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि 2003 में भारत को जूनियर एशिया कप का खिताब दिलवाना था। इस टूर्नामेंट में उन्होंने पाकिस्तान और कोरिया जैसी टीमों के खिलाफ अहम मैचों में गोल दागे थे। उन्हें टूर्नामेंट का सबसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी के खिताब से नवाजा गया था।
कृष्णामूर्ति ने बताया कि उसके पास मैदान के किसी भी हिस्से से गोल करने की क्षमता थी। इस कौशल ने उसे कोचों का चहेता खिलाड़ी बनाया और प्रशंसक भी उसे पसंद करते थे। उनके पिता जॉन माइकल राज्यस्तरीय वॉलीबॉल खिलाड़ी थे और उनकी मां ट्रैक एवं फील्ड एथलीट के साथ-साथ राज्यस्तरीय खो-खो खिलाड़ी थीं। माइकल के भाई विनीत ने भी 2002 में सबजूनियर हॉकी में कर्नाटक का प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने सीनियर टीम के साथ 2003 में ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था।