2018 एशियाई खेलों की रजत विजेता टीम का हिस्सा रहीं सुनीता को घुटने की चोट से उबरने के लिए सर्जरी की जरूरत है। सुनीता ने कहा कि उनकी चोट टोक्यो ओलंपिक में खेलने के उनके सपने के आड़े आ गई है जिससे वह बहुत परेशान हैं। उन्होंने कहा, मेरे लिए आज का दिन बहुत भावनात्मक भरा है और मैंने अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास का फैसला किया है।
उन्होंने कहा, मैं बहुत सौभाग्यशाली हूं कि मुझे रियो ओलंपिक-2016 में खेलने का मौका मिला जो भारत का तीन दशक में पहला ओलंपिक था। अब टीम जब टोक्यो ओलंपिक के लिये तैयार कर रही है तो मैं उसका हिस्सा बनना चाहती हूं। लेकिन मेरी चोट मेरे सपनों के बीच आ गई है। मुझे डॉक्टरों ने बताया है कि इसके लिए एक और सर्जरी की जरूरत है और मैं जानती हूं कि मुझे इससे ठीक होने के लिए काफी समय चाहिए होगा।
28 साल की हॉकी खिलाड़ी ने लेकिन चोट से ठीक होने के बाद घरेलू हॉकी टूर्नामेंटों में खेलते रहने का वादा किया है। उन्होंने कहा, मैं अपने उपचार के बाद घरेलू हॉकी में खेलना जारी रखूंगी और मेरे करियर और नौकरी में मदद करने वाले नाल्को के लिए खेलती रहूंगी। मैं खेल में काफी आगे तक आई हूं और मेरी भारतीय टीम के साथ कई अहम यादें हैं। मेरी टीम मेरे परिवार की तरह रही है।
सुनीता ने टीम साथियों और कोच शुअर्ड मरीने को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कह, मैं हॉकी इंडिया को धन्यवाद करना चाहती हूं जिन्होंने मेरे उपचार में मदद की और महिला टीम जिसने हमेशा मेरा समर्थन किया।