'खिलाड़ी ही तो हैं कोई रोबोट नहीं' सोशल मीडिया पर हुई आलोचना से दुखी हुई विनेश
सोमवार, 19 सितम्बर 2022 (13:57 IST)
नई दिल्ली: विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने के बाद सोशल मीडिया पर हुई आलोचना को निराशाजनक करार देते हुए भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने कहा कि खिलाड़ी रोबोट नहीं होते है।विनेश ने इसके साथ ही साथी खिलाड़ियों से मेहनत जारी रखने को कहा ताकि इस तरह की आलोचना की संस्कृति को खत्म किया जा सके।
विनेश ने बेलग्रेड में पिछले सप्ताह 53 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक जीता। उन्होंने विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में दो पदक जीतकर इतिहास रच दिया। वह ऐसा करने वाली देश की पहली महिला पहलवान है।
क्वालीफिकेशन दौर में 0-7 से हारी थी विनेश
वह क्वालीफिकेशन दौर में मंगोलिया की खुलान बटखुयाग से जिस तरह से 0-7 की हारी उसकी सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हुई।उन्होंने हालांकि शानदार वापसी करते हुए रेपेचेज में दो दौर के बाद कांस्य पदक मुकाबले को बिना अंक गंवाए अपने नाम किया।यह 28 साल की खिलाड़ी हालांकि सोशल मीडिया पर हुई आलोचना से काफी आहत है।
उन्होंने सोशल मीडिया पर जारी पोस्ट में लिखा, खिलाड़ी भी इंसान होते है। खिलाड़ी होने का यह मतलब नहीं कि हम किसी भी टूर्नामेंट में रोबोट की तरह काम करें। मुझे यह नहीं पता कि यह संस्कृति सिर्फ भारत में ही है या और जगह भी है। जहां लोग घर में बैठकर ही विशेषज्ञ बन जाते है।
I hope everyone will be more responsible about their words.. Focus on what your athletes are doing well! People need to have a better perspective and stop the constant criticism in Indian sports. pic.twitter.com/C7CWCgODCH
उन्होंने लिखा, व्यक्ति पेशेवर हो या नहीं उसने अपने सफर में कई कठिनाइयों, संघर्षों और चुनौतियों का सामना किया होता है। वे टिप्पणी नहीं करते, आलोचना करते है। वह आलोचना करते समय खुद को पेशेवर करियर के विशेषज्ञ समझने लगते है।
विनेश ने एथलीटों की लगातार आलोचना पर सवाल उठाते हुए कहा, हम एथलीट के रूप में हर चीज के लिए जवाबदेह क्यों हैं । एथलीटों को समर्थन और प्रोत्साहन के बजाय उसके प्रशिक्षण को लेकर टिप्पणियों का सामना क्यों करना पड़ता है।
उन्होंने कहा, यह बहुत हतोत्साहित करने वाला होता है जब लोग यह मान लेते हैं कि वे इस पर टिप्पणी कर सकते हैं कि एथलीटों को अपना करियर कब समाप्त करना चाहिए, कब खेलना चाहिए और कब नहीं खेलना चाहिए।
उन्होंने लिखा, एक जीत का मतलब हमेशा यह नहीं होता है कि एक एथलीट ने कुछ अतिरिक्त असाधारण किया है और हार का मतलब यह नहीं है कि एथलीट ने उस खेल के दौरान कोशिश नहीं की है। जीत और हार हर एथलीट की यात्रा का एक हिस्सा है और एथलीट हर बार कड़ी मेहनत करते हैं।
विनेश कहा कि आलोचकों को खिलाड़ियों के प्रयासों और संसाधनों के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है।उन्होंने कहा, इन चीजों पर टिप्पणी करना बहुत आसान है क्योंकि उनके लिए यह मैच देखने जीवन के सिर्फ एक दिन के बारे है। उन्हें इस बात का एहसास नहीं है कि उस समय खिलाड़ी की मानसिक स्थिति, खासकर मुश्किल समय में कैसी है।
उन्होंने कहा, सोशल मीडिया प्रशंसकों और समर्थकों से जुड़ने का शानदार मंच रहा है लेकिन अब इसका इस्तेमाल नकारात्मक आलोचनाओं को फैलाने के लिए हो रहा है।
विनेश ने साथी भारतीय एथलीटों को सपने देखते रहने और कड़ी मेहनत करने के लिए कहा और उम्मीद जताई कि अनावश्यक आलोचना समाप्त हो जाएगी।
उन्होंने लिखा, यहां मेरे सभी साथी एथलीटों के लिए है, जो एक कठिन यात्रा के माध्यम से खुद को बार-बार साबित करते है और लोगों से डरे बिना अपने सपने के प्रति हौसला दिखाने का साहस रखते हैं
उन्होंने कहा, मेरे प्रिय एथलीटों, हम सब एक ही जगह पर हैं और हमारी यात्रा एक जैसी है। उम्मीद है हम अपने निरंतर प्रयासों, साहस और समर्पण के साथ किसी दिन इस संस्कृति को बदलने की कोशिश करेंगे।(भाषा)