जब कोलकाता में चला था 'ब्लैक पर्ल' पेले का जादू, दर्शक आधी रात को दमदम हवाई अड्डे पहुंच गए थे

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2022 (09:15 IST)
कोलकाता। ऋषिकेश मुखर्जी की क्लासिक कॉमेडी 'गोलमाल' में उत्पल दत्त इंटरव्यू में अमोल पालेकर से 'ब्लैक पर्ल' पेले के बारे में पूछते हैं तो उनका जवाब होता है कि सुना है कलकत्ता (कोलकाता) में करीब 30-40 हजार पागल उनके दर्शन करने आधी रात को दमदम हवाई अड्डे पहुंच गए थे।
 
भारत से हजारों हजार मील दूर ब्राजील के इस महान फुटबॉलर का जादू ऐसा ही था। डिएगो माराडोना के खुदा के हाथ और लियोनेल मेस्सी की विश्व कप जीतने की अधूरी ख्वाहिश पूरी होने से बरसों पहले ब्राजील के इस धुरंधर ने बंगाल को इस खूबसूरत खेल का दीवाना बना रखा था।

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खचाखच भरे ईडन गार्डंस पर 24 सितंबर 1977 को न्यूयॉर्क कोस्मोस के लिए मोहन बागान के खिलाफ खेलने वाले 3 बार के विश्व कप विजेता पेले क्लब के खिलाड़ियों के हुनर के कायल हो गए थे। ईस्ट बंगाल के बढ़ते दबदबे से चिंतित मोहन बागान ने फुटबॉल के इस किंग को गोल नहीं करने दिया और लगभग 2-1 से मैच जीत ही लिया था लेकिन विवादित पेनल्टी के कारण स्कोर 2-2 से बराबर हो गया।

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कोच पीके बनर्जी ने गौतम सरकार को पेले को रोके रखने का जिम्मा सौंपा था और अपने ड्रीम मैच में सरकार ने कोई कसर नहीं रख छोड़ी। मोहन बागान ने शाम को पेले का सम्मान समारोह रखा, जहां उन्हें हीरे की अंगूठी दी जानी थी लेकिन 'ब्लैक पर्ल' की रुचि खिलाड़ियों से मिलने में ज्यादा थी।
 
गोलकीपर शिवाजी बनर्जी सबसे पहले उनसे मिले। जब 6ठे खिलाड़ी के नाम की घोषणा हुई तो कई लोगों से घिरे पेले बैरीकेड के बाहर आए और उस खिलाड़ी को गले लगा लिया। सरकार ने 45 बरस बाद भी उन यादों को ताजा रखा है। उन्होंने कहा कि 'तुम 14 नंबर की जर्सी वाले हो जिसने मुझे गोल नहीं करने दिया। मैं स्तब्ध रह गया।'
 
उन्होंने कहा कि चुन्नीदा (चुन्नी गोस्वामी) भी मेरे पास खड़े थे जिन्होंने यह सुना। उन्होंने मुझसे कहा कि गौतम अब फुटबॉल खेलना छोड़ दो। अब यह तारीफ सुनने के बाद क्या हासिल करना बचा है। यह मेरे करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि थी। वाकई।
 
यह मैच कोलकाता मैदान के मशहूर फुटबॉल प्रशासक धिरेन डे के प्रयासों का नतीजा था, जो उस समय मोहन बागान के महासचिव थे। सरकार ने कहा कि मैं विश्वास ही नहीं कर पाया, जब धिरेन दा ने हमसे कहा कि पेले हमारे खिलाफ खेलेंगे। हमने कहा कि झूठ मत बोलो लेकिन बाद में पता चला कि यह सही में होने जा रहा है। हमारी रातों की नींद ही उड़ गई।
 
3 हफ्ते पहले ही से तैयारियां शुरू हो गई थीं। उस मैच में पहला गोल करने वाले श्याम थापा ने कहा कि पेले के खिलाफ खेलने के लिए ही मैं ईस्ट बंगाल से मोहन बागान में आया। इस मैच ने हमारे क्लब की तकदीर बदल दी। मोहन बागान ने इस मैच के 4 दिन बाद आईएफए शील्ड फाइनल में ईस्ट बंगाल को हराया। इसके बाद रोवर्स कप और डूरंड कप भी जीता।
 
7 साल पहले पेले दुर्गा पूजा के दौरान फिर बंगाल आए लेकिन इस बार उनके हाथ में छड़ी थी। बढ़ती उम्र के बावजूद उनकी दीवानगी जस की तस थी और उनके मुरीदों में 'प्रिंस ऑफ कोलकाता' सौरव गांगुली भी शामिल थे।
 
गांगुली ने नेताजी इंडोर स्टेडियम पर पेले के स्वागत समारोह में कहा था कि 'मैंने 3 विश्व कप खेले हैं और विजेता तथा उपविजेता होने में काफी फर्क होता है। 3 विश्व कप और गोल्डन बूट जीतना बहुत बड़ी बात है।'पेले ने कहा था कि 'मैंने भारत आने का न्योता स्वीकार किया, क्योंकि मुझे यहां के लोग बहुत पसंद है।' उन्होंने जाते हुए यह भी कहा था, 'अगर मैं किसी तरह से मदद कर सकूं तो फिर आऊंगा।'(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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