जरूरतमंदों के लिए धन जुटाएगी महिला हॉकी टीम

शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020 (18:53 IST)
बेंगलुरु। भारतीय महिला हॉकी टीम 18 दिन का फिटनेस चैलेंज शुरु कर लॉकडाउन के दौरान जरुरतमंदों की मदद करने के उद्देश्य से धन जुटाएगी। कोरोना के खतरे के कारण भारत सरकार ने देशभर में लॉकडाउन की घोषणा की हुई है जो तीन मई तक चलेगा। इस दौरान कई लोगों को खाने और अन्य चीजों की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
 
महिला टीम की कप्तान रानी ने कहा, 'कोरोना के कारण उत्पन्न हुए इस कठिन समय में लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हम हर दिन अखबारों और सोशल मीडिया में इस बारे में सुनते हैं और हमने फैसला किया है कि हम एक टीम के रुप में इन लोगों की मदद करेंगे।' 
 
उन्होंने कहा, 'हमारे दिमाग में यह विचार आया कि हम ऑनलाइन फिटनेस चैलेंज आयोजित करें और इससे हम लोगों को लॉकडाउन के दौरान फिट रहने के लिए प्रेरित करेंगे। हमारा लक्ष्य धन जुटाकर कम से कम 1000 परिवारों को खाना खिलाने का है।' 
 
भारतीय महिला हॉकी टीम लोगों को फिटनेस टास्क देगी और हर खिलाड़ी प्रत्येक दिन सोशल मीडिया पर 10 लोगों को टैग करेगा और चैलेंज देगा तथा 100 रुपए दान करेगा। टीम की उपकप्तान सविता ने कहा, 'हर दिन हम नया चैलेंज देंगे जो कोई भी पूरा कर सकता है। जो भी चुनौती स्वीकार करेगा वे 100 रुपए या उससे ज्यादा का दान दे सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि लोग इस कठिन दौर में मदद के लिए आगे आएंगे।'
 
उन्होंने कहा, 'महिला टीम की सभी सदस्य गरीब परिवार से आते हैं और हम सभी ने ऐसा समय देखा है जहां हमें खाना और अन्य जरुरी वस्तुओं के लिए मेहनत करनी पड़ती थी। आज हम ऐसी स्थिति में हैं जहां लोगों की मदद कर सकते हैं और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि लोगों तक जरुरी सुविधा पहुंचे।'
 
सविता के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए रानी ने कहा, कुछ दिनों पहले जब मैंने अपने पिता से बात की तो उन्होंने कहा कि अगर आज तुम हॉकी नहीं खेलती तो हमें भी ऐसी मुश्किलों का सामना करना पड़ता जैसे ये लोग कर रहे हैं। जब उन्होंने ऐसा कहा तो मुझे काफी दुख हुआ।'
 
उन्होंने कहा, 'टीम में सभी ने कई चुनौतियों का सामना किया है। हम जानते हैं कि खाना नहीं मिलने का दुख क्या होता है। हम हॉकी को धन्यवाद देते हैं जिसके वजह से आज हमारा जीवन अच्छे से चल रहा है। लेकिन सभी को ऐसा जीवन नहीं मिलता।' उल्लेखनीय है कि रानी के पिता हरियाणा के शाहबाद के मारकंडा में गाड़ी चलाते थे और इसी से उनका परिवार चलता था। (भाषा)

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