भारतीय ओलिंपिक संघ (आईओए) के महासचिव रणधीरसिंह ने प्रस्तावित व्यापक राष्ट्रीय खेल नीति का विरोध करते हुए इसे खेलों की लोकतांत्रिक परंपरा के खिलाफ बताया है।
रणधीर ने कहा कि इस नीति के जरिये केन्द्र सरकार खेलों के संचालन पर अपना नियंत्रण बनाने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार का यह प्रयास ओलिंपिक आंदोलन की लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ है। उन्होंने खेलों को संविधान की समवर्ती सूची में लाने के केन्द्र सरकार के प्रस्ताव की आलोचना की।
उन्होंने कहा कि इसके जरिये केन्द्र सरकार खेलों के विकास में राज्यों की भूमिका को खत्म करना चाहती है। रणधीर ने कहा कि प्रस्तावित नीति में खेल नियामक प्राधिकरण एसआरए के गठन का प्रस्ताव आईओए के अधिकारों का हनन करता है।
आईओए महासचिव ने कहा कि अगर केन्द्र सरकार किसी खेल महासंघ के कामकाज से असंतुष्ट है, तो उसे इस बारे में आईओए से विचार-विमर्श करना चाहिए। इस तरह के प्राधिकरण के गठन से देश में खेलों की निगरानी की आईओए की भूमिका को आघात लगेगा। उन्होंने महासंघों से खर्चों का हिसाब किताब माँगने के खेल मंत्रालय के कदम की भी आलोचना की।