पिलावुल्लकंडी थेक्केपराम्बील उषा (जन्म 20 मई 1964) या पी टी उषा एक भारतीय ट्रेक और फील्ड एथलिट हैं। केरल की पी टी उषा भारतीय एथलीट से 1979 से जुडी रही हैं। वह भारत के सबसे अच्छे एथलीट्स में शुमार की जाती हैं। उन्हें अक्सर "क्वीन ऑफ इंडियन ट्रेक एंड फील्ड" कहा जाता है। उन्हें पय्योली एक्सप्रेस भी कहा जाता है। वर्तमान में वह उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स चलाती हैं।
पी टी उषा का जन्म केरल की कोज़ीकोड डिस्ट्रीक्ट में पय्योली गांव में हुआ था। 1976 में केरल सरकार ने महिलाओं के लिए एक स्पोर्ट्स स्कूल की शुरूआत की और उषा का चयन उनकी डिस्ट्रीक्ट को रिप्रेजेंट करने में हुआ। पी टी उषा 1991 में शादी की वजह से स्पोर्ट से अलग हो गईं और 1993 में उन्होंने वापसी की। पी टी उषा ने तीन ओलंपिक गेम्स में हिस्सा लिया है। इनमें मॉस्को 1980, लॉंस एंजेल्स 1984 और सीओल 1988 शामिल हैं।
करियर
1979 में, पी टी उषा ने नेशनल स्कूल गेम्स में भाग लिया, जहां उनकी प्रतिभा को ओ एम नांबियार ने पहचाना। नांबियार पी टी उषा के पूरे करियर में उनके कोच बने रहे। पी टी उषा ने 1980 मास्को के ओलंपिक्स से की जहां उनका प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा। 1982 में, नई दिल्ली में हुए एशियाड में, उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर में सिल्वर मैडल जीता। परंतु एक साल बाद ही, कुवैत में हुए एशियन ट्रेक और फील्ड चैम्पियनशिप में उषा ने 400 मीटर में गोल्ड मैडल जीतकर एक नया एशियन रिकॉर्ड बनाया।
1983 से 89 तक, उषा ने 13 गोल्ड मैडल एटीएफ मीट्स में हासिल किए। 1984 में लॉंस एंजेलेस ओलंपिक्स में पी टी उषा 400 मीटर के सेमीफायनल तक पहुंची और बिल्कुल करीब से मैडल हासिल करने से रह गईं। उनकी इस असफलता ने, 1960 में हुई मिल्खा सिंह की असफलता याद दिला दी।
1986 में 10वें एशियन गेम्स में 4 गोल्ड मैडल और 1 सिल्वर मैडल जीता। उन्होंने 5 गोल्ड मैडल जकार्ता में हुए छठे एशियन ट्रेक और फील्ड चैंपियनशिप में 1985 में जीता। 1998 के 4 x 100 मीटर रिले में रचित मिस्त्री, ए बी शायला और सरस्वती साहा के साथ मिलकर पी टी उषा ने एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल जीता। उषा ने अब तक 101 अंतराष्ट्रीय मैडल जीते हैं। वह दक्षिण रेलवे में एक ऑफिसर के तौर पर सेवारत हैं। 1985 में, उन्हें पद्मश्री और अर्जुन अवार्ड दिया गया। फिलहाल वह यंग एथलीट को उनकी ट्रेनिंग एकेडमी में कोच करती हैं।
अचीवमेंट और अवार्ड
पी टी उषा ऐसी पहली भारतीय महिला थीं जो किसी ओलंपिक के फायनल तक पहुंचीं। मॉस्को ओलंपिक के समय पी टी उषा सिर्फ 16 साल की थीं। 1984 में पी टी उषा को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया। 1984 में उन्हें पद्मश्री अवार्ड दिया गया। 1985 में वह ग्रेटेस्ट वूमन एथलिट जकार्ता एशियन एथलिट मीट में चुनी गईं। बेस्ट एशियन एथलिट अवार्ड पी टी उषा ने 1984, 1985, 1986, 1987 और 1989 में जीते। बेस्ट एथलिट की वर्ल्ड ट्रॉफी, पी टी उषा ने 1985 और 1986 में जीती। एडीदास गोल्डन शू अवार्ड फॉर द बेस्ट एथलिट का अवार्ड, 1986 सीओल एशियन गेम्स केरला स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट अवार्ड भी पी टी उषा ने जीते हैं।