ब्रिस्टल के काउंटी स्टेडियम में भारत ने इंग्लैंड को दूसरे एक दिवसीय मैच में 9 रनों से हराकर 7 मैचों की नेटवेस्ट ट्रॉफी में 1-1 की बराबरी कर ली है। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 329 रन बनाए। जवाब में मेजबान टीम 50 ओवरों में 8 विकेट खोकर 320 रन ही बना सकी। कप्तान राहुल द्रविड़ को नाबाद 92 रन बनाने के लिए 'मैन ऑफ द मैच' का पुरस्कार दिया गया।
तीसरा वनडे मैच 27 अगस्त को बर्मिघम में खेला जाएगा। यह मैच भारतीय समयानुसार दोपहर 1.45 पर शुरू होगा। हमारी अगली मुलाकात बर्मिघम में होगी और हाँ आप अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराना न भूलिएगा।
दूसरे वनडे मैच का अंतिम ओवर बेहद नाटकीयता लिए रहा। भारत की तरफ से मुनाफ पटेल ने 50वाँ ओवर डाला, जिसकी ब्रॉड ने अच्छी खबर ली। नोश फरमाएँ 6 गेंदों का विश्लेषण - 6,0, 4, 6, 4, 0 यानी कुल 20 रन अंतिम ओवर में लुटाए गए। बहरहाल भारत दूसरा वनडे मैच जीत गया और कप्तान द्रविड़ ने राहत की साँस ली।
सही मायने में देखा जाए तो इस मैच में भारत जीता नहीं, बल्कि इसे यूँ कहा जाए कि इंग्लैंड हारा है। इंग्लैंड के टैलेंडरों ने जिस तूफानी बल्लेबाजी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया, वह उसे जल्दी नहीं भूल पाएँगे। इस मैच में 100 ओवरों में कुल 649 रन बने और विकेट गिरे केवल 15।
भारत ने समझदारी करके दो स्पिनर पीयूष चावला और रमेश पोवार को खिलाया, जिन्होंने ब्रेकथ्रू करवाकर टीम को मैच में लौटा दिया। चावला ने 60 रन देकर 3 और पोवार ने 43 रन देकर 1 विकेट लिया। मुनाफ पटेल ने 8 ओवर में 70 रन देकर 3 विकेट प्राप्त किए।
मुनाफ पटेल की शानदार गेंदबाजी के बाद पीयूष चावला और रमेश पोवार की जादुई स्पिन ने भारत के अवसर काफी उजले किए और अंतत: भारतीय कप्तान को विजयी उत्सव मनाने का मौका मिल ही गया।
पीयूष चावला ने धाकड़ बल्लेबाज केविन पीटरसन को 25 रनों पर बोल्ड करके भारत को पहला ब्रेकथ्रू दिया। इसके बाद पीयूष ने टॉप स्पिन गुगली से कॉलिंगवुड (27) को बोल्ड करके इंग्लैंड की संभावनाओं को मिट्टी में मिला दिया।
रही-सही कसर पोवार ने पूरी कर दी। पोवार की गेंद पर छक्का उड़ाने के प्रयास में एंड्रूयू फ्लिंटॉफ (9) सीमा रेखा पर आगरकर को कैच थमा बैठे। मुनाफ ने दूसरे स्पेल में भारत के लिए एक और सफलता दिलाकर इंग्लैंड को संकट में डाल दिया। उन्होंने बोपारा को 17 रनों पर पगबाधा आउट कर दिया।
पिछले मैच के हीरो (126 नाबाद और मैन ऑफ द मैच) इयान बेल ने पीयूष चावला ने अपनी फिरकी का जादू फिर बिखेरा। 42वें ओवर में पहले बेल ने स्ट्रेट ने दूसरी गेंद पर छक्का उड़ाया और अगली गेंद को उसी तर्ज पर मारने के प्रयास में सीमा रेखा पर मुनाफ के हाथों में जा समाए। बेल ने 96 गेंदों का सामना किया और 64 रन बनाए। इंग्लैंड ने सातवाँ विकेट 240 रनों पर खोया।
इंग्लैड के मेस्कारेंस ने विकेट पर आकर कत्लेआम मचाया और इंग्लैंड की आशाएँ जगाई थीं, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उन्होंने 39 गेंदों में 5 छक्कों और 1 चौके की सहायता से 52 रन की जो पारी खेली, वह वाकई प्रशंसा के काबिल थी।
आरपी सिंह की गेंद पर आगरकर ने उन्हें लपका। यह उनकी शानदार पारी का ही कमाल था कि दर्शकों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया, जब वे पैवेलियन लौटे। इंग्लैंड का आठवाँ विकेट 299 पर गिरा।
इसके बाद छक्के उड़ाने की बारी पूर्व क्रिकेटर क्रिस ब्रॉड के बेटे स्टुअर्ट ब्रॉड की थी, जिन्होंने 2 छक्कों और 2 चौकों की मदद से 24 गेंदों पर नाबाद 26 रन बनाए। इंग्लैंड ने जब 50 ओवर पूरे किए तब उसके खाते में 8 विकेट खोकर 320 रन ही जुटे थे। इस तरह जीत के लिए उसे महज 10 रन कम पड़ गए। कल्पना कीजिए यदि कोई बल्लेबाज मध्य खेल में धुआँधार बल्लेबाजी करता तो हश्र क्या होता?
इससे पूर्व बेल को 2 रन पर रमेश पोवार ने आसान जीवनदान दिया, जबकि सौरव गांगुली के ओवर में केविन पीटरसन दो मर्तबा आउट होने से बाल-बाल बचे। पहले धोनी ने कैच टपकाया और फिर गांगुली स्वंय ही कैच लपकने से चूक गए। आखिरकार पीयूष ने पीटरसन को अपनी स्पिन के जाल में उलझाते हुए उन्हें बोल्ड कर दिया। इंग्लैंड ने तीसरा विकेट 134 रनों पर खोया।
इससे पहले मुनाफ पटेल ने 11वें ओवर की पाँचवी और छठी गेंद पर क्रमश: प्रायर (33) और कुक (36) को आउट किया। प्रायर को द्रविड़ ने और कुक को धोनी ने लपका।
ब्रिस्टल आज रनों की बरसात देखने को मिली। ताजा समाचार यह है कि भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे वनडे मैच को जीतने के लिए 330 रनों का लक्ष्य रखा है। भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए सचिन तेंडुलकर के 99, राहुल द्रविड़ के तूफानी 92 (63 गेंद, 11 चौके, 1 छक्का) और युवराज सिंह के 49 रनों की मदद से 7 विकेट खोकर 329 रन बनाए। यह इंग्लैड के खिलाफ भारत का उच्चतम स्कोर है। फ्लिंटॉफ की चोट के बाद वापसी बेहद खतरनाक रही और उन्होंने 56 रन देकर पाँच विकेट लिए।
भारत की और से आउट होने वाले 7 बल्लेबाज इस प्रकार रहे - सौरव गांगुली (39), सचिन तेंडुलकर (99) , युवराज सिंह (49), धोनी (21), दिनेश कार्तिक (1) अजीत आगरकर (1) और रमेश पोवार (1)। द्रविड़ ने वनडे करियर का 80वां अर्धशतक जमाया। वे आज अपने कॅरियर का 322 वाँ मैच खेल रहे हैं। द वॉल ने 12 शतक भी लगाए हैं।
युवराज सिंह काफी सेट हो चुके थे और 49 रनों पर नाबाद थे, तभी ब्रॉड की गेंद पर कट करने के प्रयास में कॉलिंगवुड ने उनका दर्शनीय कैच लपक लिया। द्रविड़ के साथ उन्होंने तीसरे विकेट के लिए 9.3 ओवरों में 63 रन जोड़े। 49 रनों में युवराज ने 53 गेंदों का सामना किया और 6 चौके लगाए। भारत ने 41वें ओवर में तीसरा विकेट गँवाया।
सचिन के 12 हजार रन पूरे : सचिन तेंडुलकर ने बतौर सलामी बल्लेबाज (271वाँ मैच) खेलते हुए 12 हजार रन पूरे किए। ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाले वे दुनिया के पहले बल्लेबाज हैं। सचिन ने पारी की शुरुआत करते हुए कुल 37 शतक और 59 अर्धशतक ठोंके हैं। उनका उच्चतम स्कोर न्यूजीलैंड के खिलाफ नाबाद 186 रन का रहा है। सलामी बल्लेबाज के मामले में सनथ जयसूर्या दूसरे नंबर पर है, जिनके 344 वनडे मैचों में 10 हजार रन से ज्यादा हैं।
सचिन विवादास्पद ढंग से 99 रनों पर आउट : सचिन जब अपने 42वें वनडे शतक से केवल 1 रन दूर थे और भारत का स्कोर 180 रन था, तभी फ्लिंटॉफ की गेंद पर विकेटकीपर प्रायर के दस्तानों में समा गए। हालाँकि सचिन ने अंपायर की ओर इशारा भी किया कि गेंद उनके बाँह से लगकर गई है लेकिन अंपायर ने कोई ध्यान नहीं दिया।
सचिन की महानता रही है कि वे जब भी आउट होते हैं तो अंपायर के निर्णय का इंतजार किए बगैर क्रीज छोड़ देते हैं लेकिन आज ऐसा नहीं हुआ। वे क्रीज पर रहे लेकिन अंपायर अपने निर्णय पर अटल थे। अंतत: निराशा भरे कदमों से वे पैवेलियन लौटे। सचिन के मैदान से लौटते ही मैच की रौनक खत्म हो गई है।
वैसे सचिन ने आज ग्रेट पारी खेली और वे वही पुराने सचिन दिखाई दिए जिस तरह वे बल्लेबाजी के शबाब पर थे। पिछले तीन मौके ऐसे आए हैं जब वे नर्वस नाइंटी के शिकार हुए हैं। सचिन यदि आज सैकड़ा जमाते तो ब्रिस्टल पर यह उनका लगातार तीसरा शतक होता। इसके पहले उन्होंने केन्या के खिलाफ 140 और श्रीलंका के खिलाफ 113 रन बनाए थे।
सचिन-गांगुली के बीच 18वीं शतकीय भागीदारी : यूजर्स की जानकारी के लिए हम बताना चाहेंगे कि सचिन तेंडुलकर और सौरव गांगुली के बीच बतौर सलामी बल्लेबाज यह 18वीं शतकीय भागीदारी हुई। दोनों ने कोई सवा सौ एक दिवसीय मैचों में भारत को सलामी शुरुआत दी है। यह साझेदारी 113 रनों पर टूटी।
गांगुली आउट : भारत ने पहला विकेट 113 रनों पर गांगुली का खोया। फ्लिंटॉफ की गेंद पाइंट की दिशा में गांगुली ने हवाई शॉट जमाया और 30 गज की सीमा के भीतर कॉलिंगवुड ने आसान कैच लपक लिया। गांगुली ने निहायत जोखिम भरा शॉट खेला था जिसका उन्हें खामियाजा भी भुगतना पड़ा। यह जरूरी नहीं है कि भाग्य हमेशा आपका साथ दे। कोलकाता के प्रिंस ने 5 चौकों व 1 छक्के की मदद से 39 रन बनाए।
महेन्द्रसिंह धोनी एंडरसन की गेंद पर शॉर्ट फाइन लेग पर हुक करने के प्रयास में ट्रेमलेट को कैच थमा बैठे। धोनी ने 3 चौकों की मदन से 18 गेंदों पर 21 रन बनाए। भारत ने चौथा विकेट 47वें ओवर में 302 रनों पर खोया। इसके बाद भी राहुल द्रविड़ ने विकेट का एक छोर संभाले रखा और वे 92 रनों पर नाबाद रहे।
ब्रिस्टल पर छा रहा है तिरंगा : ब्रिस्टल में कई भारतीय समर्थक अपने साथ भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लेकर आए हैं। तिरंगा ध्वज छोटे से लेकर काफी बड़े भी हैं। जब भी सचिन चौका लगाते थे, तब यह समर्थक राष्ट्रीय ध्वज को लहराकर उनके उत्साह को दो गुना करने लग जाते। सचिन भी काफी आक्रामक मूड में थे और वे दर्शकों की आकांक्षाओ पर 24 कैरेट सोने की भाँति खरे उतरे। उनके स्ट्रेट, कवर्स, पुल और स्क्वेयर कट देखते ही बनते थे।
दूसरे वनडे के लिए भारतीय टीम ने दो परिवर्तन किए। गौतम गंभीर की जगह रमेश पोवार को और जहीर खान की जगह मुनाफ पटेल को टीम में जगह दी गई। जहीर खान फ्लू से पीड़ित हैं। इंग्लैंड ने भी स्पिनर मोंटी पानेसर को आराम देकर एक तेज गेंदबाज ट्रेमलेट को शामिल किया है।
पहले एक दिवसीय मैच में इंग्लैंड ने भारत को 104 रनों से करारी शिकस्त दी थी। उस मैच में राहुल द्रविड़ ने सिक्का जीतकर गलत फैसला करते हुए मेहमान टीम को बल्लेबाजी का न्यौता दिया था, जिसका परिणाम सबके सामने है।
ब्रिस्टल मैदान का इतिहास : यहाँ अब तक नौ मैच खेले गए हैं और इतिहास गवाह है कि 6 मर्तबा लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम विजयी हुई है। यह देखना दिलस्प होगा कि क्या राहुल की सेना आज कोई चमत्कार करती है? यहाँ पर मेजबान इंग्लैंड ने 4 मैच खेले। 2 में उसे जीत और 2 में हार मिली है।
खिलाड़ियों को 'रंग दे बसंती' फिल्म दिखाई : पहले वनडे की हार से न केवल करोड़ों भारतीय क्रिकेटप्रेमी निराश हैं बल्कि खुद 'टीम इंडिया' गम में डूबी हुई है। कोच कम मैनेजर चंदू बोर्डे ने खिलाडि़यों का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्हे फिल्म ' रंग दे बसंती' दिखाई ताकि दूसरे वनडे में वे देश के गौरव के लिए जीत अर्जित करें।
ब्रिस्टल से जुड़ी सचिन के पिता की यादें : क्रिकेट में दखल रखने वालों को 1999 का साल याद होगा जब इंग्लैंड द्वारा आयोजित विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट के बीच में सचिन के पिता रमेश तेंडुलकर का निधन हो गया था।
पिता के अंतिम क्रियाकर्म के लिए सचिन मुंबई गए थे और दो दिन बाद वापस आ गए थे। ब्रिस्टल के इसी मैदान पर गमगीन होने के बावजूद सचिन ने अगला मैच खेला और केन्या के खिलाफ शतक (140) जमाया और सैकड़ा जमाने के बाद आसमान की तरफ देखकर यह बुदबदाए थे ' देखो बाबा (पिता) यह शतक मैं आपको समर्पित करता हूँ।
उस वक्त सचिन की भावना के सामने हरेक क्रिकेटर भावुक हो गया था। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि 140 रनों का यही स्कोर इस मैदान का अब तक सर्वाधिक स्कोर है।
वैसे सचिन ने ब्रिस्टल पर दो मैच खेले और दोनों में शतक जमाए। केन्या के अलावा उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ 113 रन बनाए थे। इस मैदान पर उनका 253 का स्ट्राइक रेट है जो सर्वोत्तम है।