पूर्व कप्तान रवि शास्त्री का मानना है कि महेंद्रसिंह धोनी ने भले ही एकदिवसीय क्रिकेट में अपनी नेतृत्व कौशल से प्रभावित किया है, लेकिन इस युवा खिलाड़ी पर टेस्ट टीम की कप्तानी का बोझ डालने का मतलब उनसे काफी अधिक उम्मीद रखना होगा।
बांग्लादेश दौरे पर भारत के अंतरिम क्रिकेट मैनेजर की भूमिका निभाने वाले इस पूर्व आलराउंडर ने कहा कि धोनी ने कप्तान के रूप में अपनी क्षमता साबित की लेकिन यह उन्हें टेस्ट कप्तान नियुक्त करने का यह सही समय नहीं है।
राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के अध्यक्ष ने कहा यह दायित्व उन्हें काफी दबाव में डाल देगा। भविष्य में वह ऐसा कर सकते हैं लेकिन यह ठीक समय नहीं है। उनमें काफी प्रतिभा है, लेकिन मुझे लगता है कि वह अभी इस जिम्मेदारी के लिए तैयार नहीं है।
इंग्लैंड के सफल दौरे के बाद राहुल द्रविड़ ने भारतीय टीम की कप्तानी छोड़ दी थी और तब से टीम के पास कोई टेस्ट कप्तान नहीं है। सचिन तेंडुलकर ने भी टीम का नेतृत्व करने की पेशकश ठुकरा दी है। शास्त्री ने टेस्ट और वनडे मैचों के लिए अलग-अलग कप्तान नियुक्त करने की पैरवी की।
शास्त्री और एनसीए के नवनियुक्त निदेशक डेव व्हाटमोर यहाँ प्रस्तावित अकादमी बनाने के संबंध में पंजाब क्रिकेट संघ (पीसीए) के साथ चर्चा करने के लिए चंडीगढ़ में मौजूद हैं।
क्या पहले कोच के पद के लिए आवेदन करने वाले व्हाटमोर की सेवाएँ कुछ समय के लिए ली जा सकती हैं? शास्त्री ने कहा कि इस ऑस्ट्रेलियाई के लिए दोनों कामों के साथ न्याय करना संभव नहीं होगा।
शास्त्री ने कहा कोचिंग विशेषज्ञता वाला पूर्णकालिक काम है। व्हाटमोर एनसीए के निदेशक हैं और एक साथ दो काम करना उनके लिए संभव नहीं होगा।