इसके अलावा, रूस-यूक्रेन युद्ध, ब्रेंट क्रूड के दाम में तेज वृद्धि और विदेशी संस्थागत निवेशकों की पूंजी निकासी से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई। उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में 30 शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स एक समय 796.75 अंक तक लुढ़क गया था। हालांकि, बाद में इसमें कुछ सुधार आया और अंत में यह 77.26 अंक के नुकसान के साथ बंद हुआ।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 34.10 अंक यानी 0.14 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,716.60 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान, एक समय यह 224.55 अंक टूट गया था। सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में टेक महिंद्रा, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाइटन, एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक, इन्फोसिस और कोटक महिंद्रा बैंक प्रमुख रूप से नुकसान में रहीं। दूसरी ओर, लाभ में रहने वाले शेयरों में अदाणी पोर्ट्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, पॉवर ग्रिड, इटर्नल और हिंदुस्तान यूनिलीवर शामिल हैं।
एशियाई बाजारों में जापान का निक्की और हांगकांग का हैंग सेंग गिरावट के साथ बंद हुए, जबकि दक्षिण कोरिया का कॉस्पी सकारात्मक दायरे में रहा। चीन में बाजार अवकाश के कारण बंद रहे। यूरोपीय बाजारों में दोपहर के कारोबार में गिरावट का रुख रहा। शुक्रवार को अमेरिकी बाजार मिले-जुले रुख के साथ बंद हुए थे। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 6449.74 करोड़ रुपए के शेयर बेचे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि वह इस्पात और एल्युमीनियम पर शुल्क को दोगुना कर 50 प्रतिशत करेंगे। जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि संभावित शुल्क युद्ध और रूस तथा यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव को लेकर नई चिंताओं के कारण घरेलू बाजार में लगातार तीसरे सप्ताह नरमी का दौर जारी रहा।
उन्होंने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण निवेशक जोखिम से बचने का रुख अपना रहे हैं, लेकिन भारतीय बाजार ने मजबूती दिखायी है। इसे मजबूत संस्थागत निवेश तथा एफएमसीजी, रियल एस्टेट और वित्तीय क्षेत्रों से समर्थन मिल रहा है। इस बीच, भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर मई में तीन महीने के निचले स्तर 57.6 पर आ गई। मुद्रास्फीति दबाव, कमजोर मांग और भू-राजनीतिक परिस्थितियां इसकी मुख्य वजह रहीं। सोमवार को जारी मासिक सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गई।