अफगानिस्तान से लगती चमन-स्पिन बोल्डक सीमा के पास एक छोटे से कस्बे से काम कर रहे हमीद गुल ने टेलीफोन पर कहा, तालिबान के काबुल में प्रवेश करने से पहले से ही कारोबार फलफूल रहा है। हमने पिछले हफ्ते से अब तक सीमा पार से करीब 1000 लोगों की तस्करी की है।
गुल ने कहा, ये लोग इस बात से डर रहे हैं कि तालिबान शासन में क्या होगा? वे किसी भी तरह से अफगानिस्तान से बाहर निकलना चाहते हैं और इसके लिए जो कुछ भी मांगा जाता है, वे लोग भुगतान करने को तैयार हैं।
मानव तस्करी में शामिल गिरोहों से वाकिफ एक सूत्र ने कहा कि ऐसे लोग ज्यादातर अशांत बलूचिस्तान प्रांत के चमन, चाघी और बदानी जैसे सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय हैं। सूत्र ने कहा कि अधिकतर अनौपचारिक शरणार्थी पाकिस्तान में प्रवेश करने के बाद क्वेटा या अन्य पाकिस्तानी शहरों में चले जाते हैं। उनमें से कुछ लोगों के पहले से ही कराची या क्वेटा में काम करने वाले रिश्तेदार हैं, जो उनका समर्थन करते हैं।
क्वेटा से एक साहित्यिक पत्रिका चलाने वाले डॉ. शाह मुहम्मद मारी ने कहा कि तालिबान के सत्ता में आने से पहले से ही अफगान नागरिकों की तस्करी होती रही है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि सिर्फ इस साल करीब 55,000 अफगान नागरिक बलूचिस्तान के रास्ते पाकिस्तान में आए हैं, जिनमें ज्यादातर बच्चे और महिलाएं हैं। वे लोग वहां युद्ध और टकराव से भागना चाहते हैं।(भाषा)