डरती है लेखनी मेरी,
न कहीं कोई यह भूल करे।।
आपने ही त्रिदोष बताए,
सप्तधातुओं से ज्ञान कराया।
'आयुर्वेद' के अष्ट-अंगों से,
आप ही ने तो संज्ञान कराया।।
आयुर्वेद का इतिहास बताकर,
संस्कृत के संस्कार बताए,
और भाषा का ज्ञान सिखाया।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से,
'आयुर्वेदामृत' जन-जन को पिलाया।।
ऐसे गुरुजन आपको हृदय से वंदन,
इस पुलकित-पावन अवसर पर।