रात में जागरण क्यों करते हैं?
इस दिन शिवजी की आठों प्रहर पूजा होती है। दिन के चार और रात्रि के चार प्रहर पूजा होती है। इसलिए रातभर जागरण करना होता है। विशेष पूजा का प्रारंभ सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल से किया जाता है और सुबह इसका समापन होता है। इस व्रत में महिलाएं समय समय पर पूजा करती हैं और रातभर भजन एवं लोकगीत गाती रहती हैं। इस पूजा में मिट्टी में बालू मिलाकर उसका शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा करते हैं।
तृतीया तिथि प्रारम्भ- 05 सितम्बर 2024 को दोपहर 12:21 बजे से।
तृतीया तिथि समाप्त- 06 सितम्बर 2024 को दोपहर 03:01 बजे तक।
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:30 से 05:16 तक।
प्रातः सन्ध्या: प्रात: 04:53 ए एम से 06:02 तक।
अभिजीत मुहूर्त: प्रात: 11:54 से दोपहर 12:44 तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:25 से 03:15 तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:36 से 06:59 तक।
सायाह्न सन्ध्या: शाम 06:36 से 07:45 तक।