Kajri Teej 2024: वर्ष 2024 में कजरी तीज का पर्व दिन गुरुवार, 22 अगस्त को मनाया जा रहा है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कजरी तीज मनाई जाती है, इसे कज्जली तीज के नाम से भी जाना जाता है। कजरी तीज का त्योहार रिमझिम फुहारों के बीच तब चारों ओर हरतालिका छा जाती है और इसी सुहावने मौसम के स्वागत में मनाया जाता है। कजरी तीज का सजीला पर्व विवाहितों द्वारा अपने मायके में मनाया जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार संतान प्राप्ति के लिए जरूरी माना जाने वाला यह पर्व रक्षाबंधन के तीन दिन बाद और कृष्ण जन्माष्टमी से पांच दिन पहले आने वाली तीज तिथि पर मनाया जाता है, जिसे कजली तीज, सातुड़ी तीज या कजरी तीज के रूप में मनाते है।
कजरी तीज पर बुंदेलखंड में घर के पूजा स्थल पर भगवान के लिए छोटा झूला स्थापित करके उसे आम तथा अशोक के पल्लव और रंग-बिरंगे पुष्पों से सजाया जाता है। फिर महिलाएं भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह को झूले पर रखकर श्रद्धा से झुलाते हुए मधुर स्वर में लोकगीत गाती हैं। मान्यता है कि इसी दिन देवी पार्वती विराहाग्नि में तपकर शिवजी से मिली थीं। इसलिए तीज के अवसर पर वहां माता पार्वती की पूजा की जाती है और धूमधाम से उनकी सवारी निकाली जाती है।
इस बार कजरी तीज पूजा के लिए तृतीया तिथि का प्रारंभ : बुधवार 21 अगस्त 2024 को शाम 05:06 मिनट से होगा।
और तृतीया तिथि का समापन- 22 अगस्त 2024, गुरुवार को दोपहर 01:46 मिनट पर होगा।
आइए जानते हैं इस पर्व की कुछ खास बातें :
बेटियां विवाह के बाद का इस त्योहार अपने मायके में बड़े धूमधाम से मनाती हैं।
कजरी तीज पर सुहागिन महिलाएं अच्छी तरह से सज-धजकर बहुत ही उत्साहपूर्वक इस पर्व को मनाती है।
आज सातुड़ी, कजरी तीज का पावन पर्व भी है।
इस नीमड़ी माता का पूजन करके चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। तथा सत्तू की मिठाई का सेवन करके व्रत को पूर्ण किया जाता है।
कजरी तीज पर महिलाएं झूला झूलती है।
कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाएं व्रत-उपवास रखकर अपने पति और संतान की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं।
इस अवसर पर खास तरह के लोकगीत गाए जाते हैं, जिन्हें कजरी कहा जाता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यह दिन धन और संतान सुख देने वाला माना गया है। अत: इस व्रत के दिन तीज माता की कथा, का पठन या श्रवण अवश्य करें।
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