आज का शेर

मेरी ग़ज़ल

शनिवार, 31 अगस्त 2013

गुफ़्तगू का प्‍यासा

शनिवार, 31 अगस्त 2013

हसीन ख़ता

शनिवार, 31 अगस्त 2013

कैसे कह दूं कि

शनिवार, 24 अगस्त 2013
-परवीन शाकिर

रेल की सीटी...

शनिवार, 24 अगस्त 2013
-परवीन शाकिर

ख्वाहिश

शनिवार, 24 अगस्त 2013
-अहमद फ़राज़

अगर दुखता नहीं

शनिवार, 24 अगस्त 2013
जावेद अख्‍़तर
बागीचा ए अतलाफ है दुनिया मेरे आगे होता है शबोरोज तमाशा मेरे आगे।
जिंदगी जैसी तवक्को थी नहीं कुछ कम है हर घड़ी होता है अहसास कुछ कम है घर की तामीर तसव्वुर में ही हो सक...
इक चीज थी जमीर जो वापस न ला सका लौटा तो है जरूर वो दुनिया खरीद कर।
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला।
फुटपाथ का बिस्तर है तो है ईंट का तकिया यह नींद के यूं कौन मजे लूट रहा है

कोई शहर ऐसा भी

बुधवार, 9 नवंबर 2011
कोई शहर ऐसा भी दुनिया में बनाया जाए, जिसमें सिर्फ़ अहले-मुहब्बत को बसाया जाए - कैफ़ मुरादाबादी