आज का शेर - अंधेरों के दरमियां

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शुमार कर न अभी मेरा इन निगाहों में
मैं इस हजूम से दामन बचा के निकलूंगा,
घिरा हूं आज अंधेरों के दरमियां लेकन
मैं एक मशाले-फ़रदा जला के निकलूंगा।

- अमीर कज़लबाश

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