मैं ज़िन्दगी भी बड़ी दोग़ली

कहीं पे बैठ के हँसना कहीं पे रो देना,
मैं ज़िन्दगी भी बड़ी दोग़ली गुज़ारता हूँ - मुनव्वर राना

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