एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने महज 34 साल की उम्र में सुसाइड कर अपनी जान दे दी। सुशांत सिंह राजपूत ने इतनी कम उम्र में फांसी लगाकर जान क्यों दे दी अभी इसका पूरी तरह खुलासा नहीं हो सका है। पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आ रहा है कि बालीवुड का चमकता सितारा पिछले कुछ दिनों से डिप्रेशन में था और उनका इलाज चल रहा था। इतनी कम उम्र में अपनी अभिनय क्षमता से बॉलीवुड में अपना सिक्का जमाने वाले सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड ने एक बार फिर कोरोना काल में डिप्रेशन को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि शुरुआती रिपोर्टस के मुताबिक सुशांत सिंह राजपूत पिछले कुछ दिनों से डिप्रशेन थे और उनका इलाज चल भी रहा था, ऐसे में उनका अचानक फांसी लगा लेना कई सवाल खड़ा करता है। डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी इसके लिए बहुत कुछ मायानगरी और समाज को जिम्मेदार मानते हुए कहते हैं कि हमारा समाज सेलिब्रिटी को खुलकर रोने की भी इजाजत भी नहीं देता है। हमें इस बात को समझना चाहिए कि डिप्रेशन ओहदे से परे होता है और वह हमें से किसी को भी हो सकता है चाहे वह सेलिब्रिटी या एक बड़े शहर में काम करने वाला प्रवासी मजूदर।
अपनी आखिरी फिल्म छिछोरे में सुसाइड के खिलाफ संदेश देने वाले सुंशात सिंह राजपूत आखिरी क्यों अपनी जिंदगी इतनी आसानी हार गए इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। डॉक्टर सत्यकांत कहते हैं कि सुशांत सिंह राजपूत जो डिप्रेशन में थे वह क्या लॉकडाउन के दौरान अपने डॉक्टर से मिल पाए या नहीं अभी इसको भी देखना होगा। सेलिब्रिटी जो डिप्रेशन का शिकार होते है वह सामान्य तौर पर इसको छिपाते है क्योंकि इसका सीधा असर उनके करियर पर पड़ सकता है। ऐसे में वह सेलिब्रिटी या तो अपने किसी नजदीकी या डॉक्टर के पास ही जाता है तभी खुलकर सब कुछ कह पाता है।
सुशांत सिंह राजपूत में जिस उम्र में अपनी जिंदगी को खत्म कर लिया है उसमें रिलेशनशिप फैक्टर का बहुत अहम रोल होता है, डिप्रेशन एक बहुत गंभीर समस्या और इससे निकलने के लिए व्यक्ति को सबसे अधिक सपोर्ट की जरूरत होती है। सुशांत सिंह राजपूत जो मात्र 16 साल की उम्र में अपनी मां को खो चुके थे उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी आखिरी पोस्ट अपनी मां के नाम पर ही लिखी थी। जो बहुत कुछ उनकी मन की स्थिति को बयां करती थी।
डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि देश में 15 से 40 साल की उम्र में रोड एक्सीडेंट के बाद सुसाइड लोगों की मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है, लेकिन आज भी सरकार और हमारा समाज इस दिशा बिल्कुल भी गंभीर नहीं दिखाई दे रहा है।
आज जब कोरोना काल में डिप्रेशन और उसके चलते सुसाइड के मामले अचानक से बहुत तेजी से सामने आने लगे है तो इस पर बहुत बड़े पैमाने पर मॉस अवेयरनेस लाने की जरूरत है। वह आने वाले समय को बहुत खतरनाक बताते हुए कहते हैं कि कोरोना ने मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ी चुनौती पैदा कर दी है और बिना देर किए इस दिशा में बड़े कदम उठाने की जरूरत है।