War: युद्ध के कारण लाखों लोग पहुंचे भुखमरी की कगार पर

UN

गुरुवार, 13 जून 2024 (13:44 IST)
आपात राहत मामलों के लिए यूएन समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने चेतावनी जारी की है कि दुनिया के अनेक हिस्सों में हिंसक टकराव की आग फैली हुई है, जिसकी वजह से लाखों लोग भुखमरी के कगार पर हैं। उन्होंने कहा कि सूडान और ग़ाज़ा में इसे स्पष्टता से देखा जा सकता है।

Famine in the 21st century is a preventable scourge.
#G7 leaders can and must wield their influence to help stop it.

Nowhere is the choice between inaction and oblivion so clear as in #Gaza and #Sudan.

Read my statement: https://t.co/LPhrwO59HZ pic.twitter.com/qbDS5ZCejL

— Martin Griffiths (@UNReliefChief) June 12, 2024
विश्व की सात प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के समूह, जी7, गुरूवार को बैठक में शिरकत करने के लिए तैयार हो रही हैं। इससे ठीक पहले यूएन अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने विकसित जगत के नेताओं से पुकार लगाई है कि उन्हें अपने वित्तीय संसाधनों और राजनैतिक रसूख़ का इस्तेमाल, उन सहायता संगठनों को सहायता देने में करना होगा, जो ज़रूरतमन्दों तक राहत पहुंचाने में जुटे हैं।

उन्होंने कहा कि युद्ध, लाखों लोगों को भुखमरी की ओर धकेल रहा है। भूख के कारण लोगों की मौत हो रही है, और केवल तकनीकी वजहों से ही अकाल घोषित नहीं किया जा रहा है।

कोई क़दम उठाने से पहले, अकाल की आधिकारिक घोषणा होने की प्रतीक्षा करना, लाखों लोगों के लिए मौत की सज़ा होगा और एक नैतिक वीभत्सता भी”

जी7 देशों के समूह में कैनेडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन, और अमेरिका शामिल हैं। यूएन में मानवीय सहायता मामलों के लिए शीर्ष अधिकारी ने कहा कि इन देशों को अपने प्रभाव का इस्तेमाल, ऐसे हालात की रोकथाम के लिए करना होगा, ताकि मासूम लोगों की ज़िन्दगियों की रक्षा की जा सके।

हॉटस्पॉट में गम्भीर हालात : खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) की नवीनतम रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि भूख संकट की दृष्टि से 18 इलाक़े (हॉटस्पॉट) ऐसे हैं, जहां पिछले कुछ समय में पसरी खाद्य असुरक्षा, जून से अक्टूबर 2024 के दौरान बद से बदतर हो सकती है।

इसके मद्देनज़र उन हॉटस्पॉट इलाक़ों में तुरन्त क़दम उठाए जाने की आवश्यकता है, जहां भुखमरी फैलने का जोखिम मंडरा रहा है। इनमें हेती, माली, दक्षिण सूडान समेत अन्य देश हैं। वहीं युद्ध के कारण तबाह हो रहे ग़ाज़ा और सूडान में विशेष रूप से जल्द से जल्द ध्यान देने की ज़रूरत है।

यूएन अवर महासचिव ने कहा कि ग़ाज़ा में आधी आबादी द्वारा, यानि क़रीब 10 लाख लोग, मध्य जुलाई तक मौत व भुखमरी का सामना करने की आशंका है।

वहीं, सूडान में कम से कम 50 लाख लोग भुखमरी के कगार पर हैं। कई इलाक़ों में समुदायों पर अगले महीने अकाल की चपेट में आने का जोखिम अधिक है। इनमें युद्ध से प्रभावित दारफ़ूर, ख़ारतूम, कोर्दोफ़ान समेत अन्य इलाक़े हैं।

ग़ाज़ा और सूडान में हिंसा, पाबन्दियों, और अपर्याप्त सहायता धनराशि के कारण, मानवीय सहायताकर्मियों के लिए ज़रूरतमन्दों तक आवश्यक, जीवनरक्षक सहायता पहुंचाना कठिन साबित हो रहा है। मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा, “इसे बदला जाना होगा। हम एक मिनट खोने का भी जोखिम मोल नहीं ले सकते हैं”

जी7 की भूमिका : यूएन अवर महासचिव ने कहा कि मानवीय सहायता के ज़रिये, बड़े पैमाने पर भुखमरी की रोकथाम करने में मदद मिलेगी, मगर अन्तत: यह इस समस्या का समाधान नहीं है। बल्कि यह जी7 समूह पर निर्भर करता है कि उसके द्वारा किस तरह से राजनैतिक प्रभुत्व और वित्तीय संसाधनों का इस्तेमाल किया जाएगा।

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स के अनुसार, सबसे अहम बात यह है कि दुनिया को इन युद्ध मशीनों को पोषित करने से रोकना होगा, जिनके कारण ग़ाज़ा और सूडान में आम नागरिक भुखमरी का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह समय कूटनीति को प्राथमिकता देने का है, ताकि लोगों को उनका भविष्य व कल वापिस दिया जा सके। और जी7 समूह, इन प्रयासों के केन्द्र में है।

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