नई दिल्ली। अरुण जेटली का बजट भाषण सुन रहे लोगों में उस समय खुशी की लहर दौड़ गई जब उन्होंने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती और 6 रुपये के अतिरिक्त उत्पाद शुल्क हटाने का ऐलान किया। हालांकि उनकी खुशी उस समय काफुर हो गई जब उन्हें पता चला कि जितनी ड्यूटी घटाई थी उतना ही सेस बढ़ा दिया गया है।
पेट्रोल, डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे दामों के बीच सरकार से नए बजट में इस पर उत्पाद शुल्क घटाने की उम्मीद की जा रही थी। जेटली ने आठ रुपए कम भी कर दिए लेकिन इस कटौती की भरपाई सड़क एवं बुनियादी ढांचा उपकर लगाकर कर दी। इससे पेट्रोल, डीजल के भाव पहले जैसे ही रहे। इस पूरी कवायद से आम जनता को कोई लाभ नहीं मिला।
पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने के पीछे वित्त मंत्री अरुण जेटली की मंशा आम लोगों को राहत देने की नहीं थी। हां, इससे राज्यों को जरूर नुकसान हुआ। पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क से जुटाया गया पैसा राज्यों में भी बांटना पड़ता है, लेकिन सेस की पूरी रकम केंद्र सरकार ही रखेगी।