इसमें कहा गया है कि वर्ष 2017-18 के दौरान देश में मुद्रास्फीति की दर मध्यम रही। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई दर 3.3 फीसदी रही, जो पिछले छह वर्ष में सबसे कम है। हाउसिंग, ईंधन और लाइट को छोड़कर सभी बड़े कमोडिटी क्षेत्रों में मुद्रास्फीति दर में यह कमी दर्ज की गई।
सर्वेक्षण के मुताबिक पिछले चार साल में अर्थव्यवस्था में क्रमिक बदलाव देखा गया, जिसमें एक अवधि के दौरान मुद्रास्फीति काफी ऊपर चढ़ने या काफी नीचे गिरने की बजाय स्थिर बनी रही। खुदरा महंगाई पिछले चार साल में नियंत्रित ही रही है। इसमें कहा गया है कि हाल के महीनों में सब्जियों और फलों की कीमतों में आई तेजी की वजह से खाद्य पदार्थों के मूल्यों में तेजी देखी गई है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि सरकार द्वारा कई स्तरों पर किए गए प्रयासों के चलते मुद्रास्फीति दर में यह कमी देखी गई है जिसमें जमाखोरी और कालाबाजारी के खिलाफ कार्रवाई करने, कीमत और उपलब्धता की स्थिति के आकलन के लिए नियमित तौर पर उच्च स्तरीय समीक्षा बैठकें, उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए खाद्य पदार्थों के अधिकतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा, दालों, प्याज आदि कृषि वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए कीमत स्थिरीकरण निधि (पीएसएफ) योजना लागू करने, खुदरा कीमतों को बढ़ने से रोकने के प्रयासों के तहत सरकार ने दालों के बफर स्टॉक को 15 लाख टन से बढ़ाकर 20 लाख टन करने का अनुमोदन किया।
इसके साथ ही राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से वितरित करने, मध्याह्न भोजन योजना आदि के लिए बफर स्टॉक से दाल आपूर्ति करने, सेना और अर्धसैनिक बलों की दाल की जरूरत को पूरा करने के लिए भी बफर स्टॉक से दालों की आपूर्ति करने, चीनी के स्टॉकिस्टों/डीलरों पर भंडारण की सीमा तय करने, उपलब्धता को बढ़ावा देने और कीमतों को कम बनाये रखने के लिए चीनी के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाने, शून्य सीमा शुल्क पर पांच लाख टन कच्ची चीनी के आयात की अनुमति आदि शामिल है।
(वार्ता)