नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि 2021-22 के बजट में पारदर्शिता और कर स्थिरता प्रमुख मार्गदर्शक सिद्धांत हैं। उन्होंने उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 कर की अपेक्षा की जा रही थी, इसके बावूजद सरकार ने बजट में किए गए प्रोत्साहन उपायों और अन्य खर्च के लिए कर बढ़ाने के बजाए अधिक ऋण लेने का रास्ता चुना।
वित्तमंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में सरकार ने अधिक पूंजी व्यय का लक्ष्य रखा है, यह निजी क्षेत्र की बड़े स्तर पर भागीदारी पर भी जोर देता है। बजट में विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) के गठन की घोषणा के बारे में सीतारमण ने कहा कि सरकार इसके लिए कुछ पूंजी उपलब्ध कराएगी और बाजार से भी कोष जुटाएगी।
सरकार ने 20,000 करोड़ रुपए की शुरूआती पूंजी के साथ डीएफआई के गठन का प्रस्ताव किया है। इस पहल का मकसद महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइप लाइन (एनआईपी) के वित्त पोषण के लिए जरूरी 111 लाख करोड़ रुपए जुटाने में मदद मिलेगी।
एनआईपी पहल का मकसद देश में वैश्विक स्तर की ढांचागत परियोजनाएं लगाना और लोगों के जीवन गुणवत्ता में सुधार लाना है। यह 2024-25 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को हासिल करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार, गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के प्रबंधन के लिए संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी का गठन किया जाएगा। होल्डिंग कंपनी के रूप में इसका गठन बैंक स्वयं सरकार की मदद से करेंगे। वित्तमंत्री ने कहा कि बजट में बिजली, सड़क, बंदरगाह और हवाईअड्डा जैसे ढांचागत क्षेत्रों पर विशेष जोर दिया गया है।